एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। एकादशी के दिन विधि-विधान से श्री हरि की पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।हिंदू धर्म में माघ मास का विशेष महत्व है, इस मास में पड़ने वाली एकादशी को भी विशेष माना गया है।माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। आज के दिन षटतिला एकादशी के रूप में पूरे भारत में मनाया जा रहा है।
पूरे भारत सहित बीकानेर में भी षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाता है। बीकानेर में षटतिला एकादशी को भांडा ग्यारस भी कहा जाता है। आज के दिन तिल का हवन और तिल का दान करने से विशेष लाभ मिलता है साथ ही भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाना शुभ माना जाता है।षटतिला एकादशी व्रत कथा का श्रवण करना भी शुभ माना जाता है,षटतिला एकादशी के दिन पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए।
बीकानेर में लक्ष्मीनाथ जी मंदिर सहित गोपाल जी मंदिर व सभी वैष्णव मंदिरों में षटतिला एकादशी के दिन भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाता है और तिल और तिल से बने प्रसाद का भोग लगाया जाता है। भक्तों को रेवड़ी और तिल से बने प्रसाद वितरित किया जाता है। बीकानेर में षटतिला एकादशी के दिन लोग पूरे भाव के साथ दान पुण्य भी करते हैं। आज के दिन लोग विशेष रूप से तिल और तिल से बने खाद्य सामग्री का का दान करते हैं।