आपणी हथाई न्यूज़, बीकानेर 16 फरवरी। मुरलीधर व्यास राजस्थानी स्मृति संस्थान और स्टूडेंट सॉल्यूशन क्लासेज के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को आधुनिक राजस्थानी कहानी के जनक मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ की 38वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
संस्थान के आनंद पुरोहित मस्ताना ने बताया कि स्व. मुरलीधर व्यास राजस्थानी साहित्य जगत में प्रथम कहानीकार थे। उन्होंने लघु कथाएं, लोक कथाएं, संस्मरण, रिपोर्ट, नाटक, निबंध, दोहे, सोरठे भी लिखे।
स्व. मुरलीधर व्यास के पड़पौत्र तथा युवा साहित्यकार व्यास योगेश ‘राजस्थानी’ ने व्यक्तिगत कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुरलीधर व्यास ने उस दौर में राजस्थानी भाषा में लिखना शुरू किया, जब यहां अंग्रेजों का शासन था और अंग्रेजी बोलना लिखना अधिक चलन में थे। साहित्य सृजन में उन्होंने अनेक चुनौतियों का सामना किया। वह राजस्थानी भाषा के जीवंत रूप थे। राजस्थानी भाषा उनके रग-रग में समाई हुई थी।
युवा गीतकार गोपाल पुरोहित ‘अवांछित’ ने बताया कि मुरलीधर व्यास कहानीकार के साथ साथ कवि भी थे। भक्ति रस की उनकी रचनाएं कल्याण जैसी स्तरीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई।
संस्था के पीयूष जांगिड़ ने कहा कि मुरलीधर व्यास ने सामाजिक विद्रूपताओं के विरुद्ध लेखनी चलाई। उनकी रचनाएं गूढ़ अर्थ लिए हुए होती, साथ ही उन्हें समझना पाठक के लिए आसान होता। उन्होंने बदलते समय की मान्यताओं को राजस्थानी सन्दर्भ में नवबोध के साथ प्रस्तुत किया।
शुभम व्यास ने आगंतुकों का आभार जताया ।
कार्यक्रम में मधुकर जोशी, कुनाल गहलोत ,लक्की व्यास, माधव व्यास, दीक्षा पुरोहित, हर्षिता स्वामी, योगिता पारीक आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे।