आपणी हथाई न्यूज़, बीकानेर इन दिनों प्रयोग के दौर से गुजर रहा है। शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए जहां एक और सट्टा बाजार की ओर आने जाने के लिए एक तरफा यातायात की व्यवस्था की गई है वहीं दूसरी ओर केईएम रोड के किनारे खड़े दुपहिया वाहनों को हटाने के लिए ट्रैफिक पुलिस गाड़ियों को अपने वाहनों में डालकर यातायात व्यवस्थित करने में लगा हुआ है।
आम आदमी बाजारों में अपने वाहन दुकानों के आगे खड़ा नहीं कर सकते हैं। वाहन मालिकों को अब पार्किंग में ही वाहन खड़े करने अनिवार्य है अगर गलती से भी ग्राहक अपने वाहन दुकानों के आगे लगा देते हैं तो उनकी गाड़ी करना सिर्फ चालान होता है बल्कि गाड़ी लेने ट्रैफिक पुलिस थाने तक जाना पड़ता है। यहां तक यह व्यवस्था थोड़ी बहुत ठीक-ठाक लगती है लेकिन शहर में इन दिनों ट्रैफिक पुलिस नगर निगम के वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं यह भी ठीक है लेकिन ट्रैफिक पुलिस नो पार्किंग जोन में खड़े दुपहिया वाहनों को नगर निगम की आवारा पशुओं को पकड़ने वाली गाड़ी में डालकर ट्रैफिक पुलिस थाने तक लेकर जा रहे हैं। व्यवस्था का यह स्वरूप उस वक्त शर्मनाक हो जाता है जब आवारा पशुओं को पकड़ने वाले वाहनों में गाड़ियां डाली जाती है और एन उसी वक्त आवारा पशुओं को पकड़ने वाली गाड़ी के पास आवारा पशु खड़े नजर आते हैं।
बीकानेर में इन दिनों आवारा पशुओं को पकड़ने वाली गाड़ी का उपयोग नो पार्किंग जोन में खड़ी गाड़ियों को डाल कर ले जाने की व्यवस्था में किया जा रहा है लेकिन नगर निगम आवारा पशुओं को पकड़ने में ना केवल नाकाम है बल्कि अपनी गाड़ियां भी नो पार्किंग जोन से गाड़ियां हटाने के लिए ट्रैफिक पुलिस को दे रहा है अब सवाल यह है कि जब यातायात व्यवस्था को सुधारने के नाम पर आवारा पशुओं को पकड़ने वाली गाड़ियों का उपयोग किया जा रहा है तो फिर आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए निगम कौनसी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहा है। सवाल यह भी है कि यातायात व्यवस्था में आवारा पशु भी पूरी तरीके से व्यवधान पैदा करते हैं कई बार इन आवारा पशुओं की वजह से सड़क पर दुर्घटनाएं भी होती है लेकिन प्रशासन आवारा पशुओं को हटाने की बजाय केवल आमजन से चालान वसूल कर अपने दायित्व की इतिश्री करता नजर आ रहा है।
बीकानेर की लचर प्रशासनिक व्यवस्था एक तस्वीर में ही दिखाई देती है जब आवारा पशु उस वाहन को देखता नजर आ रहा है जिस वाहन में आवारा पशुओं की जगह गाड़ियों को डाला जा रहा है। नगर निगम अपनी जिम्मेदारियों से दूर नजर आ रहा है तो वहीं शहर का जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी केवल चालान के चाबुक से बीकानेर की जनता को हांकना चाहता है।