आपणी हथाई न्यूज़, यूपी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए अपना दमखम आजमा रही है। इन सबके बीच पॉलिटिकल किस्सो की चर्चा ना होना कहा सम्भव है। इसी कड़ी में हम एक ऐसी शख्सियत की बात करेंगे जो यूपी के मुख्यमंत्री और रियासतों का गठन होने के बाद राजस्थान के दूसरे राज्यपाल रह चुके है नाम है – संपूर्णानंद
आज के समय मे जहा मुख्यमंत्री के पास करोड़ो की संपत्ति होती है लक्ज़री जीवनशैली होती है वही, एक समय ऐसा भी था जब राजनीतिज्ञ बड़े पदों पर आसीन होने के बावजूद विलासिता रहित जीवन भी जीते थे इन्ही मुख्यमंत्रियो में संपूर्णानंद भी शामिल थे।
बनारस में पैदा हुए संपूर्णानंद का राजनीतिक सफर सत्याग्रह आन्दोलन से शुरू हुआ फिर यूपी के शिक्षा मंत्री, फिर मुख्यमंत्री और उसके बाद राजस्थान के राज्यपाल बने। अब आगे की कहानी में ट्विस्ट ये है कि इतने बड़े पदों पर आसीन संपूर्णानंद को जब वृद्धावस्था ने घेर लिया तब वे आर्थिक तंगी से गुजरने लगे तब जीवनयापन करने के लिए राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया हर माह आर्थिक मदद के लिए उन्हें पैसे भेजते थे। सुखाड़िया संपूर्णानंद का बहुत आदर करते थे इसका उदाहरण जोधपुर में बना संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय है जो सुखाड़िया के कार्यकाल के समय बना।
राजस्थान के राज्यपाल के पद से 1967 में इनका कार्यकाल समाप्त हुआ इसके दो साल बाद 1969 को उनका निधन हो गया।