आपणी हथाई न्यूज़, रूस- यूक्रेन विवाद से यूक्रेन में धमाके लगातार जारी है यूक्रेन से निकल रहे भारतीयो को पड़ोसी देश पोलैंड के लोगो द्वारा बड़ी मदद मिल रही है। पोलैंड में उनके लिए तमाम इंतेजाम किये जा रहे हैं खाने-पीने से लेकर अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। कभी भारत ने पोलैंड के सैकड़ों बच्चों को पनाह दी थी। उस वक्त खुद पोलैंड इसी रूस के हमले का शिकार हुआ था। दरअसल, विश्व का कल्याण हो कल्पना भारतीय जनमानस में परंपरा से रची-बसी हुई है। पश्चिमी देश पोलैंड एक भारतीय राजा द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के समय किये गए नेक कार्य आज भी याद करता है वो थे- तत्कालीन जामनगर रियासत के महाराजा दिग्विजय सिंहजी जडेजा। उन्होंने पोलैंड की जनता का उस समय मदद की जब जर्मनी और रूस के हमले में बेसहारा हो गई थी। बात हो रही है युद्ध में अनाथ हुए पोलैंड के सैकड़ो बच्चों की जिन्हें महाराजा दिग्विजय सिंह ने न केवल पनाह दी बल्कि एक पिता जैसा स्नेह दिया। पोलैंड सरकार ने महाराजा दिग्विजय सिंह को मरणोपरांत अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान कमांडर्स क्रॉस ऑफ दि ऑर्डर ऑफ मेरिट से नवाजा।
बात द्वितीय विश्वयुद्ध की है जब…
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1939 में जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोल दिया। जर्मन तानाशाह हिटलर और सोवियत रूस के तानाशाह स्टालिन के बीच गठजोड़ हुआ। जर्मन अटैक के 16 दिन बाद सोवियत सेना ने भी पोलैंड पर हमला कर दिया। दोनों देशों का पोलैंड पर कब्जा होने तक भीषण तबाही मची। हजारों सैनिक मारे गए और भारी संख्या में बच्चे अनाथ हो गए। वो बच्चे कैंपों में बेहद अमानवीय हालात में जीने को मजबूर हो गए। दो साल बाद 1941 में रूस ने इन कैंपों को भी खाली करने का फरमान जारी कर दिया। तब ब्रिटेन की वॉर कैबिनेट की मीटिंग हुई और उन विकल्पों पर विचार किया गया कि कैंपों में रह रहे पोलिश बच्चों के लिए क्या-क्या किया जा सकता है।