आपणी हथाई न्यूज,दो दिवसीय बीकानेर पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जनसुनवाई के दौरान राजस्थानी मोट्यार परिसद के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने सम्बन्धी छह सूत्री मांगों का ज्ञापन सौंपा तथा मुख्यमंत्री से इस संबंध में राजस्थान की जनता का मान रखने की अपील की, तब मुख्यमंत्री महोदय ने बताया कि राजस्थान सरकार राजस्थानी भाषा के प्रति बहुत ही सकारात्मक है तथा राजस्थान सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव भी 2003 में केंद्र सरकार को भेज दिया था अब सांसदों का दायित्व बनता है कि वो केंद्र सरकार पर दबाव बनाए। उसी वक्त मुख्यमंत्री ने बी ड़ी कल्ला से भी राजस्थानी भाषा को लेकर चर्चा की तब बी ड़ी कल्ला ने भी राजस्थानी भाषा आंदोलन को लेकर पूरे राजस्थान में युद्ध स्तर पर चल रही गतिविधियों से अवगत करवाया।
मुख्यमंत्री से चर्चा के दौरान प्रतिनिधि मंडल ने गहलोत को बताया को राजस्थान के पक्ष-विपक्ष सहित मंत्रियों ने भी राजस्थानी को राजभाषा बनाने हेतु पत्र लिखा है जिस प्रकार सांसदों का दायित्व केंद्र पर दबाव बनाने का है उसी प्रकार विधायको के दायित्व का मान रखना भी मुख्यमंत्री का फर्ज है।
प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ गौरीशंकर प्रजापत ने बताया कि जननायक की उपाधि आपको जनमानस ने इसलिए ही दी है क्योंकि आप वास्तव में जनता की भावनानुरूप धरातल पर कार्य करते हो, इसी जनभावना का सम्मान करते हुए आपको राजस्थानी को राजभाषा तुरंत ही घोषित करनी चाईये।
मोट्यार परिसद के रामावतार उपाध्याय ओर प्रशांत जैन ने मुख्यमंत्री से अपील की की राजस्थान के बेरोजगारों के रोजगार का एकमात्र समाधान राजस्थानी को राजभाषा बनाना है, राजेश चौधरी और राजेश कड़वासरा ने भी अपील करते हुए कहा कि भारत के हर राज्य के पास अपनी भाषा है पर राजस्थान एकमात्र ऐसा प्रदेश है जंहा उसकी भाषा नही है।
भरतदान चारण, मुकेश रामावत,सरजीत सिंह ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी ने कल ही एन एस यू आई के कार्यक्रम में कहा था कि कोंग्रेस पार्टी संविधान के अनुसार राज करने में विश्वास रखती है तो फिर संविधान में उल्लेखित भाषा सम्बन्धी नियमो से राजस्थान को वंचित क्यो किया जा रहा है। कांग्रेस के ही शहर पदाधिकारी रिषि व्यास और भगवानाराम ने भाषा से होने वाले लाभों से भी मुख्यमंत्री को अवगत करवाया। हिमांशु टाक, कैलाश मेघवाल, एडवोकेट राजेश कड़वासरा ने ज्ञापन को लेकर अशोक गहलोत को कहा कि आप ही एकमात्र वो जननायक हो जो राजस्थानी भाषा के भविष्य को उज्जवल कर सकते हो।
राधेश्याम,रोशनलाल,महेन्द्र कुचेरिया,मदनलाल वर्मा,राकेश बिश्नोई,शोभित डेलू सहित सैकड़ो की संख्या में उपस्तिथ भाषा हेताळुओ ने एक स्वर में पुरजोर तरीके से इन मांगों का समर्थन किया।