भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आज राजद्रोह कानून यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए पर महत्वपूर्ण सुनवाई की है और राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है।अब राजद्रोह कानून के तहत नए केस नहीं दर्ज हो सकेंगे। इसके अलावा पुराने मामलों में भी लोग अदालत में जाकर राहत की अपील कर सकते हैं।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस फैसले पर क्विट कर लिखा है कि, “ऐतिहासिक निर्णय!सुप्रीम कोर्ट का संदेश साफ़ है।सत्ता के सिंहासन पर बैठे आवाज़ कुचलने वाले निरंकुश शासक जान लें कि स्वयंभू राजा और बेलगाम सरकारों की जन विरोधी नीतियों की आलोचना का गला नहीं घोंट सकते।सत्ता को आईना दिखाना राष्ट्रधर्म है, देशद्रोह नहीं।”
साल 1837 में लॉर्ड मैकाले के नेतृत्व वाले पहले विधि आयोग ने भारतीय दंड संहिता तैयार की थी। इसमें राजद्रोह से जुड़ी कोई धारा नहीं थी।बाद में 1870 में अंग्रेजी हुकूमत ने IPC के छठे अध्याय में धारा 124A को शामिल किया और आजादी से पहले के समय तक भारतीय राष्ट्रवादियों और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया गया। बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी जैसे महानायको पर भी राजद्रोह लगाया गया।