राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग द्वारा बीते दिनों एक आदेश जारी कर ऐसे सभी पति या नजदीकी रिश्तेदारों को कार्य में दखलअंदाजी ना करने की हिदायत दी गई है जिनकी पत्नी या रिश्तेदार महापौर/ सभापति/ अध्यक्ष निर्वाचित होकर आए हैं। उक्त आदेश में निर्देशित किया गया है कि जिन नगर निगमों / परिषदों/ पालिकाओं में महिला, जन प्रतिनिधि निर्वाचित हुई है उन निगमों / परिषदों / पालिकाओं के क्रियाकलापों, बैठको इत्यादि में उनके पति या अन्य नजदीकी रिश्तेदार सक्रिय रूप से हिस्सा लेने हेतु अधिकृत नहीं है।
इस संबंध में पूर्व में भी स्वायत्त शासन विभाग द्वारा 2001 मे द्वारा समस्त नगरीय निकायों को ऐसे ही निर्देशित किया गया था। आदेश में लिखा गया है की ऐसी नगर निगम / परिषद / पालिकाओं में जहाँ महिला प्रतिनिधि निर्वाचित हुई है उनके पति एवं रिश्तेदारों को इन निकायों के क्रियाकलापों एवं बैठकों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जावें और न ही बैठकों के क्रियाकलापों में दखलअन्दाजी करने की अनुमति दी जावें।
आदेश में लिखा गया है कि इस आदेश का उल्लंघन होने पर सम्बन्धित दोषी अधिकारी/ कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। अगर स्वायत शासन विभाग के इस आदेश को अक्षरस लागू किया जाएगा तो अब नगर निगम/ नगर परिषद/ नगर पालिका में महिला पार्षद या महापौर/ सभापति/ अध्यक्ष के पति या नजदीकी रिश्तेदार इसी बैठक में ना तो हिस्सा ले पाएंगे और ना ही किसी कार्य में दखलअंदाजी कर पाएंगे।