आपणी हथाई न्यूज, नवाचार के तौर पर बीकानेर सैंट्रल जेल में चल रहे शतरंज प्रशिक्षण कार्यशाला में शािमल बंदी अब शतरंज में खासी दिलचस्पी दिखा रहे है। हर रोज करीब तीन दर्जन बंदी इस कार्यशाला में शामिल होकर शतरंज की बिसात पर अपना दिमाग लग रहे है । जिला शतरंज संघ की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में बंदियों की दिलचस्पी को देखते हुए जेल प्रबंधन ने भी विशेष प्रबंध किये है। संघ के प्रशिक्षण हर दिन बंदियों को शतरंत के नये दाव पेज सिखा रहे है।
इससे बंदियों में दिमागी स्फूर्ति भी आ रही है। जेल अधीक्षक आर.अंतेश्वरन का कहना है कि जेल में बंदियों की बौद्धिक क्षमता का विकास करने और उनकी अपराधिक सोच में बदलाव लाने के लिये नवाचार के तौर पर किया गया यह प्रयास काफी सार्थक साबित हो रहा है। उन्होने कहा कि कई बंदी हमेशा गुमशुम और अवसाद के घिरे रहते थे,लेकिन कार्यशाला में शतरंज की बिसात पर दिमाग लगाने के बाद उनमें खासा बदलाव और दिमागी तौर पर स्फूर्ति दिखने लगी है। बंदियों में आ रहा यही बदलाव बीकानेर जेल में हमारे इस छोटे से प्रयास की बड़ी सफलता के संकेत है। जेल अधीक्षक ने पहले चरण की प्रशिक्षण कार्यशाला के बाद 80 बंदियों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन कराया जायेगा। अच्छे परिणाम सामने आने के बाद नवाचार की इस प्रक्रिया को सतत रूप से आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं शतरंज संघ के जिला अध्यक्ष उम्मेद सिंह ने बताया किये एक माइंड गेम है, एक ही जगह पर बैठकर दो-तीन घंटों तक सोचते हुए योजना बनानी पड़ती है। सही मायने में शतरंज का यह खेल दिमागी कसरत का सबसे अच्छा जरिया है।
इसमें प्रत्येक मोहरे चलाते समय नियमों की पालना जरूरी होती है, ठीक उसी प्रकार जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव में भी नियमों का अनुसरण जरूरी होता है। नियमों की पालना हमें गलत रास्ते पर चलने से बचाती है। उन्होने कहा कि कार्यशाला मेंं कई बंदी ऐसे है जो शानदार अंदाज में अपने खेल का प्रदर्शन कर रहे है। खास बात तो यह है कि कार्यशाला के शुरूआती दिन जो बंदी मायूसी से इस कार्यशाला में शामिल हुए थे उनमें अब जबरदस्त उत्साह नजर आ रहा है। उम्मेद सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद बीकानेर जेल से शतरंज के कई अच्छे खिलाड़ी सामने आयेगें।