आपणी हथाई न्यूज,आज और कल चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसिल की मीटिंग होने जा रही है। भारत में मोदी सरकार द्वारा जीएसटी को लागू हुए पूरे 5 साल हो गए है। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग से पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के हेड विवेक देबरॉय ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना व्यक्त की है। देबरॉय ने मोदी सरकार को महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है।
अगर भारत सरकार देबरॉय की राय मान लेती है तो आम नागरिकों को पेट्रोल महज 72 रुपए प्रति लीटर मिलेगा। पेट्रोल का किराया सहित वास्तविक मूल्य इस समय सिर्फ करीब 54 रुपए है। अगर जीएसटी पेट्रोलियम पदार्थों पर लगाए तो 28 फीसदी स्लैब के हिसाब से 15 रुपए के आसपास ही जीएसटी लगेगा। पौने चार रुपए पेट्रोल पंप डीलर का जोड़ दे तो पेट्रोल की मौजूदा कीमत सिर्फ 72-73 रुपए के आसपास रहेगी। जीएसटी लागू होने से केंद्र सरकार तो कोई विशेष नुकसान नही होगा लेकिन राज्य सरकारों को करीब 2 लाख करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान होगा। साल 2020-21 में सिर्फ पेट्रोलियम पदार्थों से ही केंद्र और राज्य सरकारों ने लगभग 6 लाख करोड़ रुपए का राजस्व कमाया है।
आज से जीएसटी काउंसिल की मीटिंग शुरू हो रही है। क्या मोदी अपने सलाहकार की बात को मानेंगे? क्या देश के राज्य पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल होने की हामी भरेंगे? राज्यों को फिर वितीय मदद कैसे होगी? सवाल कई है। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग पर सबकी नजरें है,क्या वाकई ये क्रांतिकारी फैसला लिया जाएगा,जस्ट वेट एंड वॉच….
मनोज रतन व्यास