टैटू गुदवाने या नाक-कान छिदवाने जैसे लोकप्रिय श्रृंगार साधनों से भी हेपेटाइटिस संक्रमण का जोखिम रहता है यदि उपयोग की जा रही सुई संक्रमित हो तो। इसके लिए हमेशा नई नीडल का ही उपयोग अति आवश्यक होता है। यह जानकारी सामने आई जब स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्दी लिवर कैंपेन के तहत शनिवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता मे गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ विनीता चौधरी हेपेटाइटिस के कारणों पर तकनीकी जानकारी दे रही थी। उन्होंने बताया कि अधिक घातक हेपेटाइटिस बी व सी का संक्रमण उपयोग की गई सुई, संक्रमित रक्त चढ़ाने, असुरक्षित यौन संबंध या संक्रमित मां से बच्चे को हो सकता है। हेपेटाइटिस ए तथा ई अशुद्ध व संक्रमित पेयजल व खाद्य पदार्थों के माध्यम से फैलता है। एक बार हेपेटाइटिस ए संक्रमण होकर ठीक हो जाए तो व्यक्ति हमेशा के लिए इसके प्रति इम्यून हो जाता है। उन्होंने हेपेटाइटिस बी तथा सी की नियमित स्क्रीनिंग, उपलब्ध उपचार तथा ट्रीटमेंट सेंटर के बारे में जानकारी दी और पत्रकारों के प्रश्नों के जवाब दिए।
डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता ने बताया कि देश भर में 4 करोड़ से अधिक हेपेटाइटिस से संक्रमित व्यक्ति होने का अनुमान है। क्योंकि यह रोग लंबे समय तक शांत रहता है इसलिए इसके बारे में समय रहते पता लगाना मुश्किल रहता है। इस लिहाज से यह देश की बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इस कारण नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल कार्यक्रम चलाया गया है जिसके अंतर्गत राजस्थान सरकार द्वारा 28 जुलाई तक हेल्दी लिवर कैंपेन का आयोजन किया जा रहा है।
जिला आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि अभियान को लेकर जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल के नेतृत्व में कार्य योजना तैयार कर सघन जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत समस्त स्टेकहोल्डर विभागों के सहयोग से जन-जन तक स्वस्थ लीवर का संदेश पहुंचाया जा रहा है। हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए पेयजल स्रोतों की सफाई व क्लोरिनेशन का कार्य कैंपेन मोड में जारी है। हाई रिस्क समूह जैसे टीबी के मरीज, पीएलएचआईवी, जेल के कैदियों, ट्रककर इत्यादि की स्क्रीनिंग के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। जल्द ही अभियान को लेकर मेगा साइकिल रैली का आयोजन किया जाएगा और गाँव गांव तक हेपेटाइटिस से बचाव की जानकारी पहुंचाई जाएगी।
जिले में हेपेटाइटिस बी व सी की नियमित स्क्रीनिंग व्यवस्था उपलब्ध
डॉ गुप्ता ने बताया कि जिले में मेडिकल कॉलेज स्तर पर मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर तथा जिला अस्पताल में ट्रीटमेंट सेंटर संचालित है जहां आवश्यकतानुसार हाई रिस्क समूहों के हेपेटाइटिस बी व सी को लेकर रैपिड टेस्ट किए जाते हैं। पॉजिटिव आने वाले व्यक्तियों का आवश्यकता अनुसार उपचार शुरू किया जाता है। माह अप्रैल व मई 2022 में कुल 9146 व्यक्तियों की हेपेटाइटिस बी के लिए स्क्रीनिंग की गई जिसमें से 85 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए। इन्हीं 2 माह में हेपेटाइटिस सी के लिए 8066 व्यक्तियों की जांच हुई जिससे 22 व्यक्ति पॉजिटिव पाए गए। उन्होंने जानकारी दी कि गर्भवती महिलाओं की नियमित रूप से हेपेटाइटिस जांच की जाती है। जिले में माह अप्रैल व मई 2022 में हुए 2,505 प्रसवो मे से 1644 गर्भवतीओं की हेपेटाइटिस जांच हुई जिसमें से 7 पॉजिटिव पाई गई ।