आपणी हथाई न्यूज,पर्सनल कम्प्यूटर फील्ड में क्रांति लाने वाले और एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स को मरणोपरांत अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “प्रेजिडेंटशियल मेडल ऑफ फ्रीडम” से कल नवाजा गया। स्टीव जॉब्स की अक्टूबर 2011 में महज 56 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी। जॉब्स लंबे समय तक पेनक्रियाज कैंसर से पीड़ित थे। कल अमेरिका का सर्वोच्च सम्मान जॉब्स को अमेरिकन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिया। बाइडेन ने कहा कि जो जॉब्स छोड़कर गए है वो बहुत स्पेशल है। यूएसए के राष्ट्रपति ने कहा कि तकनीक किस प्रकार से हमारे जीवन स्तर को सुधार सकती है, अब तक उस बारे में पूर्ण रूप से सोचा ही नही गया है। बाइडेन ने कहा कि जॉब्स हमे असली अमेरिकन कैरेक्टर दिखा कर गए है।
जॉब्स को अमेरिका का सबसे बड़ा सम्मान मिलने पर एप्पल के सीईओ टिम कुक ने कहा है कि जॉब्स को अमेरिका का सर्वश्रेष्ठ अवार्ड मिलने की हमें बहुत खुशी है। कुक ने कहा कि जॉब्स वो विजनरी व्यक्ति थे जिसने बताया था कि दुनिया वो नही जो दिखती है,क्या हो सकती है, उसे साकार करके दिखाया था। कुक ने कहा हम जॉब्स की यादों को संजोए रखते हुए उनकी लैगेसी(एप्पल) को को यूं ही आगे बढाते रहेंगे।
स्टीव जॉब्स ने ही दुनियाभर में 21वी सदी में सही मायनों में सूचना तकनीक क्षेत्र में क्रांति लाई थी। जॉब्स ने ही पर्सनल कम्प्यूटर, आई फोन,आई पोड,आई पैड को क्रिएट किया था। जॉब्स पिक्सर,नेक्स्ट जैसी कम्पनियों के भी जनक थे। जॉब्स दुनिया की बड़ी एंटरटेनमेंट कम्पनी वाल्ट डिज्नी से भी जुड़े हुए थे। लगभग एक दशक तक कैंसर से लड़ने के दौरान भी जॉब्स ने एप्पल के इनोवेशन,डिजाइन और बिजनेस पर पूरा फोकस रखा और जाने से पूर्व एप्पल को दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनियों में खड़ा कर के गए।
मनोज रतन व्यास