प्रदेश सहित बीकानेर में इन दिनों मानसून का दौर जारी है। बीकानेर में झमाझम बारिश के इस मौसम के दौरान लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें भी दिखाई देने लगी है। नगर निगम की नाकामी और प्रशासन की लीपापोती के चलते बीकानेर शहर बारिश के आते ही पानी पानी हो जाता है। शहर की सड़कें समुंद्र और नाले नदियों का रूप ले लेते हैं। इन सब की वजह से बारिश के दौरान सड़कों पर चलने वाले राहगीरों को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है साथ ही कच्ची बस्तियां और जलभराव वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का रहना दूभर हो जाता है।
बीकानेर में बरसते मेघ खोलते हैं प्रशासन की पोल
बीकानेर में बारिश के मौसम के दौरान सड़कों पर बहता पानी, जाम नाले और सड़कों पर खुले हॉल प्रशासन के बड़े दावों की पोल खोल रहे हैं। ढोल बजा बजाकर मानसून पूर्व तैयारी की मुनादी करने वाला प्रशासन आधा घंटा बरसने वाली बारिश के सामने घुटने टेक देता है। जिस तरीके से बारिश के दौरान सड़कों पर शहर की तस्वीर नजर आ रही है यह तस्वीरें प्रशासनिक अमले की कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है।
वर्षों से ड्रेनेज सिस्टम के फेलियर को भुगत रहा है शहर
बीकानेर का कचहरी परिसर, नगर निगम रोड, केईएम रोड, कोटगेट,चौंखुटि पुलिया, फड़बाज़ार, जयपुर रोड और जेलरोड सहित शहर के सभी प्रमुख एवं व्यस्ततम मार्ग बारिश के दौरान लगभग बंद से हो जाते हैं इस दौरान सड़कों पर पानी का सैलाब ही नजर आता है। यह सभी वह महत्वपूर्ण इलाके हैं जहां से अधिकतम यातायात निकलता है इसके अलावा वर्षों से इन इलाकों में बारिश के दौरान जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। शहर के इन प्रमुख मार्गों में ड्रेनेज सिस्टम का फैलियर स्पष्ट नजर आता है।
बारिश के दौरान सड़कों पर असहाय नजर आते हैं राहगीर
बारिश के दौरान जब सड़के पानी से भर जाती है उस दौरान सड़कों पर चलते राहगीरों और वाहन चालकों को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। पानी की अधिकता के चलते लोगों के वाहन चलते चलते बंद हो जाते हैं जिसके बाद वाहन चालक परेशान नजर आते हैं इसके अलावा पैदल चलने वाले राहगीर भी सड़कों पर जमा पानी के बीच मुश्किलों में नजर आते हैं। बीकानेर में बारिश के दौरान सड़कों पर पानी की वजह से कई हादसे भी होते हैं। कई बार लोग अपने वाहनों से गिरते नजर आते हैं तो कई बार पैदल चलते हुए भी राहगीर गिरते नजर आते हैं।
मानसून पूर्व की गई तैयारियां बारिश के आगे हो जाती है बेबस
मानसून पूर्व प्रशासन द्वारा जोर-शोर से तैयारियां की जाती है इस दौरान नालों की सफाई करने, आपात स्थिति से निपटने के लिए मिट्टी के कट्टे तैयार करने और सिविल डिफेंस को सक्रिय रहने के आदेश दिए जाते हैं इसके अलावा मोटर पंप को भी दुरुस्त किया जाता है लेकिन दुर्भाग्य से यह सब आदेश केवल कागजी ही रह पाते हैं बारिश के दौरान सड़कों पर प्रशासन द्वारा की गई कोई भी तैयारी नजर नहीं आती।
जहां एक और मानसून के आगमन के साथ लोग खुशियों से सराबोर हो जाते हैं वहीं दूसरी ओर मानसून के आने की खबरों के साथ ही लोग शहर की ड्रेनेज व्यवस्था के चलते मायूस भी हो जाते हैं। जिन रिहायशी इलाकों में बारिश के दौरान जलभराव हो जा है वहां के लोग एक ही बात कहते हैं मानसून मत आइयो म्हारे शहर।