आजादी का अमृत महोत्सव पर प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय जैसलमेर के स्वर्णिम भवन राजेन्द्र प्रसाद कॉलोनी में स्व. डॉ . प्रकाशमणि दादी की 15 वी पुण्यतिथि पर ब्रह्माकुमारी मनीषा दीदी और श्री श्री1008 बाल भारती द्वारा पुष्प अर्पण कर श्रदांजलि दी गई।
दादी प्रकाशमणि की कुछ शिक्षाएं
सारा विश्व हम सभी आत्माएँ एक बाप के बच्चे है। कोई भी पराया नहीं है।जैसे एक परिवार में होता है, इस संगठन का आधार प्रेम है, और यह परिवार फलता-फूलता है क्योंकि यह प्रेम और सम्मान के साथ पोषित है। केवल एक शक्तिशाली आत्मा ही प्रेम दे सकती है। केवल एक शक्तिशाली आत्मा विनम्र होने का बल रखती है। अगर हम कमजोर हैं, तो हम स्वार्थी हो जाते हैं। अगर हम खाली हैं, हम लेते हैं; लेकिन अगर हम भरे हुए हैं, तो हम स्वचालित रूप से सभी को देते हैं। यही हम शिव बाबा के बच्चे ब्राह्मणों की प्रकृति है। अगर आप मानते हो की आप सभी के हैं, और एक ट्रस्टी के रूप में हर किसी की देखभाल करते हैं, तो आप श्रेष्ठ ईश्वरीय कार्यों को करने में सक्षम हैं। लगाव होने के बजाय निस्वार्थ प्रेम होना चाहिए।
श्रदांजलि में प्रेम कंवर (पार्षद)बहिन, गुर्जर बहिन, भगति बहिन, गुड्डी बहिन, बंतली बहिन, गुलाब बहिन, निजरा बहिन , मनीषा कुमारी, माया कुमारी , कमला बहिन , मोहिनी बहिन, प्रभु दयाल भाई,देव पूरी भाई,प्रताप पूरी भाई,जयरामदास भाई ,राजू भाई ,भजना राम भाई, लुमा राम भाई, हरी राम भाई, दीनदयाल भाई, जितेंद्र भाई, चंद्रशेखर कुमार , दुर्गाशंकर कुमार, सवाई भाई, दामोदर भाई से साथ अन्य बहिन भाई भी उपस्थित रहे हैं।