आपणी हथाई न्यूज, खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में गठित वेतन विसंगति परीक्षण समिति का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ाए जाने एवं लंबित मांगों का निराकरण नहीं होने से नाराज प्रदेश के राज्य कर्मचारी अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के आव्हान पर 24 अगस्त, बुधवार को सभी जिलों में धरने प्रदर्शन करेंगे और जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद 27 अगस्त, शनिवार को उदयपुर में एक विशाल रैली के साथ आम सभा आयोजित की जाएगी। जिसमें आंदोलन के अगले चरण की घोषणा की जाएगी। यह बात अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के जिलाध्यक्ष रविंदर पुरोहित नेएक बयान में कही।
रविन्द्र पुरोहित ने सरकार पर कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा के वेतन विसंगतियों के नाम पर कर्मचारीयों को हमेशा छला गया हैं । उन्होंने बताया कि 3 नवंबर 2017 को सरकार के निर्देश पर डी. सी. सामंत की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन किया गया और इस समिति ने सभी संगठनों की सुनवाई करने के बाद 5 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दी। जब सार्वजनिक करने का समय आया तो सरकार ने परीक्षण के नाम पर रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जो आज तक परिक्षणाधीन है।
इस बीच सरकार ने अपने कार्यकाल को पूरा करने और कर्मचारियों को उलझाए रखने के लिए 5 अगस्त 2021 को एक और वेतन विसंगति समिति, खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में वेतन विसंगति परीक्षण समिति गठित कर दी। इस कमेटी की भी विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ सुनवाई पूरी हो चुकी है। लेकिन इसके बावजूद कमेटी का कार्यकाल 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है। जिससे कर्मचारियों में काफी आक्रोश है।
एक अन्य बयान में रविन्द्र पुरोहित ने सरकार पर संवादहीनता का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों की लंबित मांगों पर भी कोई ध्यान नहीं दे रही है जिससे कर्मचारियों में काफी नाराजगी है।
रविन्द्र ने मुख्यमंत्री से खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को तुरंत प्रकाशित करने एवं महासंघ (एकीकृत) के *संशोधित मांग पत्र- 2022* पर शीघ्र उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित करा कर मांगों का निराकरण कराने की मांग की है।