आपणी हथाई न्यूज,भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने कल गर्भपात पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने हर प्रेग्नेंट महिला को गर्भपात कराने की अनुमति प्रदान की है, भले ही महिला विवाहित हो या अविवाहित। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गर्भवती महिला 22 से 24 हफ्ते तक के समय तक टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत गर्भपात करवा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़ के अनुसार ये सोच ही दकियानूसी है कि विवाहित महिलाएं सेक्सुअली एक्टिव रहती है। गर्भपात का अधिकार देने में महिला विवाहित है या अविवाहित है, इसका कोई फर्क नही रह जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने तो मैरिटल रेप को भी रेप स्वीकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ टर्मिनेशन एक्ट में मेरिटल रेप को शामिल करने की वकालत की है। कोर्ट ने कहा है कि जबरन सेक्स के कारण कोई विवाहित महिला प्रेग्नेंट हो जाती है तो उसे भी गर्भपात करवाने का हक है। सुप्रीम कोर्ट ने कल का ऐतिहासिक फैसला एक अविवाहित महिला की याचिका पर सुनाया है। 25 साल की इस महिला ने 24 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत कोर्ट से मांगी थी।
इसी महिला की याचिका को 16 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। महिला का कहना था कि सेक्सुअल रिलेशन उसकी मर्जी से बने थे,लेकिन वो अविवाहित है और उसके पार्टनर ने उसके साथ विवाह करने से इंकार कर दिया है। अब अविवाहित होने के कारण वह बच्चे को जन्म नही देना चाहती है। बाद में इसी महिला को 21 जुलाई को दिल्ली एम्स की टीम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुरक्षित गर्भपात करवाने की अनुमति मिली।
मनोज रतन व्यास