रामदेव मंदीर गुलाबसागर तालाब रेलवे स्टेशन के पास जैसलमेंर में दुज से मेला शुरू होता है और एकादशी तक मेला चलता हे दशमी को जागरण व बाबा की प्रसादी होती है जिसमें जैसलमेंर व आस पास के गाँव के सैकड़ों लोग दर्शन करने आते हे दशमी को जागरण में जैसलमेंर के वीणा भजन गायक पूरी रात भजन करते हे।
मंदीर पुज़ारी प्रेमनाथ ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण रामदेव जी महाराज के नाना ने करवाया था। मंदिर पुजारी ने इस मंदिर से संबंधित कहानी को बताया जो कि इस मंदिर के प्रति आस्था को और प्रबल करती है।
मंदिर पुजारी के अनुसार प्रथम महारावल मुलराज रामदेव जी के नाना व रामदेव जी के मामा जीतसींह जी ने इस मंदीर का निर्माण करवाया था जब रामदेव जी की बारात अमरकोट पाकीस्नान जा रही थी तब महारावल मुलराज जी ने बारात को गुलाबसागर तालाब में गोठ दी थी ये तालाब महारावल मुलराज जी की पत्नी गुलाबकंवर के नाम से बनवाया था यहा पर रामदेव जी ने अपने नाना मुलराज जी को परचा देकर समाधी निकाली थी तो महारावल ने कहा क्या अब तुम सिद्ध पुरुष हो गये हो तो रामदेव जी ने कहा नाना जी कुछ सालो बाद आप ख़ुद इस समाधी की पुजा करोगे फीर 32 साल बाद जब रामदेव जी ने जीवित समाधी रुणीचा में ली तो बाद में महारावल मुलराज व उनके पुत्र जीतसिंह ने जहा समाधी नीकाली थी वहा मंदीर बनाया था और मेरे पुर्वज श्री श्री 1008 श्री धुणीनाथ जी जो की रामदेव जी की माता मेणादे व उनकी नानी गुलाबकंवर के गुरु थे तो ये मंदीर धुणीनाथ मठ को दे दीया तब से आज तक लग भग 450 सालो से हमारा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदीर की पुजा पाठ व देख भाल करता आ रहा है भादवा सुधी दुज से मेला शुरू होता है और दशमी को जागरण व प्रसादी मंदीर की तरफ से हर साल होती हे दशमी के दीन रामदेव जी की सादी हुई थी दुज के दीन जन्म हुवा व इंग्यारस के दीन समाधी ली थी ईग्यारस के दीन बडा मेला भरता है जीसमें जैसलमेंर जील्ले के सारे गांवो से सेकडो की तादाद में लोग दर्शण करने आते हे।
मंदिर कथा स्रोत:
मंदीर पुज़ारी व गादी पती प्रेमनाथ / गरीबनाथ धुणीनाथ मठ जैसलमेंर