बीकानेर देस की मजबूत परम्परा को आज 536 वां वर्ष पूरा हो रहा है। इस शहर जैसा पूरी दुनिया में कुछ भी नही है। बेफ्रिकी, हर चीज़ की शौक़ीनीयत और अपनत्व मानों इस शहर की मिट्टी और पानी में ही बसता हो। कुछ लोगों को इसकी इस अदा से दिक्कत भी है पर ये शहर ऐसी किसी भी उलझन में खुद को कभी फंसने नही देता। इस मामलें में इस शहर के एक गायक कलाकार नवदीप बीकानेरी ने तो इस शहर के लोगों को दुनिया के सबसे अमीर आदमियों में गिना है क्योंकि उनका कहना है कि इस दौर में जहा लोगों को टाइम नही है वही इस शहर के लोग बड़ी फुर्सत में है। इस लिहाज से जिसके पास अभी समय सबसे ज्यादा है वही सबसे अमीर है। बात आज मेरे शहर की इसलिए हो रही है क्योंकि आज इसका बर्थडे हैं। बीकाणा आज अपने 536 वर्ष पूरा कर चुका है और ये नित रोज युवा होता जा रहा है। इसका खानपान,इसकी हवेलियां, इसके चौकों में लगे पाटे ये सब बातें विश्वभर में कब की प्रसिद्ध हो गई है।
हम तो आपको आज सिर्फ बिकानेरियत के बारे में बताना चाहते है ये वही बीकाणा है बीकानेर का एक आदमी भारत के दस शीर्ष अमीरों में आता है नाम तो सुना ही होगा राधाकिशन दम्माणी। इस शहर को जो खाने की तहजीब विरासत में मिली है इसी शहर ने ही दुनिया भर को उसका स्वाद चखाया है। अब भला हल्दीराम, बीकाजी, भीखाराम चांदमल और बीकानेरवाला को कौन नही जानता।
जब महर्षि कपिल मुनि ने पश्चिम बंगाल के इस छोर से आकर यहां के कोलायत धाम की भूमि को चुना तो कुछ अद्भुत, आध्यात्मिक और सर्वश्रेष्ठ ही रहा होगा उनके नजरिये से। इस शहर के जाये जन्मे संत रामसुखदास जी को भला कौन नही जानता होगा इस भारतवर्ष की भूमि में। इसी शहर की मिट्टी से अल्लाह जिलाह बाई, रफीक सागर, राजा हसन और संदीप आचार्य जैसे हीरे निकले है।
इस शहर का मिजाज बहुत शांत है उसे हर चीज़ पसंद हैं वो भी अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ। शायद ये दुनिया का एकमात्र शहर होगा जहा सबसे ज्यादा शौकीन आपकों एक साथ मिल जाये। होली,दिवाली, मेले और पारंपरिक त्योहारों में ये शहर पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व करता नजर आता है। इस शहर ने क्या दिया ये विषय नही है मगर इस शहर ने अब भी बहुत कुछ बचा रखा है ये बात समझने की है।