समाजसेवी एवं सामाजिक चिंतक फकीरचंद जी व्यास की द्वितीय पुण्यतिथि का आयोजन स्थानीय सुरदासाणी बगेची में आयोजित किया गया ।द्वितीय पुण्यतिथि पर वक्ताओं ने स्व.श्री फकीरचंद जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए पेंशनर समाज के अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश जोशी ने उन्हें ज्ञान के भण्डार एवं संघर्षशील व्यक्तित्व के धनी बताया । कर्मचारी नेता श्री भंवर पुरोहित ने कर्मचारियों के लिये संघर्ष करने वाले नेता बताते हुए कहा कि कभी भी वार्ता की टेबल पर उन्होंने मात नहीं खायी। कर्मचारी नेता श्री शंकरलाल पुरोहित ने उन्हें समाज की कुरूतियों के विरूद्ध, मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिये संघर्ष करने वाले, अध्यात्म पुरूष एवं कर्मयोगी बताया । श्री बल्लभ पुरोहित ने उनके बारे में बताते हुए कहा कि वे श्रेय से दूर रहकर निःस्वार्थ भाव से परमार्थ के कार्यों में संलग्न रहते थे।
कार्यक्रम में माननीय राजस्व मण्डल अजमेर के सदस्य श्री सुरेंद्र पुरोहित ने बताया कि वे सदैव सत्य के मार्ग पर चलने वाले पुरूष थे श्री पुरोहित ने अपने जीवन में उनके आदर्श को ही अपनाया और आज भी वे सत्य की राह पर अग्रसर है।
विशिष्ट अतिथ श्री सत्यपालसिंह शेखावत-पूर्व लोक अभियोजक ने बताया कि श्री फकीरचंद जी व्यास पर्यावरण के प्रति सजग थे अपने जीवन में 85 बसंत तक उन्होंने पैदल चलकर एवं साईकिल पर सवारी करके संघर्ष किया और पर्यावरण के दिवस ही वे पंचतत्व में विलीन हुए । श्री सत्यपालसिंह शेखावत ने पर्यावरण के दिवस पर उनके विचारों को अपने जीवन में अंगीकार करके अपने मन के पर्यावरण को शुद्ध करने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए भारतीय जनता पार्टी बीकानेर शहर के अध्यक्ष श्री विजय आचार्य ने स्व0श्री फकीरचंद जी व्यास को साहित्यकार के साथ-साथ राष्ट्र चिंतक, विचारक एवं सांगठनिक नेतृत्व के धनी बताया।स्व.श्री फकीरचंद जी व्यास के बारे में बोलते हुए उन्हेांने बताया कि श्री व्यास जी ने संपूर्ण भारत की यात्रा की एवं अपने जीवन में सदैव चरैवैति-चरैवैति के मंत्र पर क्रियाशील रहे । जीवन के अंतिम समय तक उनकी लेखनी में कभी विराम नहीं आया । वे जहां एक ओर कवि थे, वहीं साहित्यकार भी थे, संघर्ष के रूप में उन्होंने कर्मचारी संगठनों का नेतृत्व किया , अध्यात्म के क्षेत्र में वे सर्वोच्च शिखर पर थे श्री निरंजनदेव तीर्थ के शिष्य होकर षोडशी दिक्षा से दीक्षित थे, सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में सदैव संलग्न रहे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री जानकीनारायण श्रीमाली ने अपने उद्बोधन में उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में सरस्वती पुत्र बताते हुए कहा वे उनकी लेखनी में चमक थी।उनके द्वारा लिखे हुए साहित्य को कोई व्यक्ति पढे बिना नहीं रह सकता था। सत्य के लिये वे किसी भी स्तर पर संघर्ष के लिये सदैव तत्पर रहते थे।श्रद्धांजली सभी को श्री मोतीलाल हर्ष, श्री गोकुल जोशी, श्री गौरीशंकर व्यास आदि ने सम्बोधित किया।
इस अवसर पर गौ-सेवा के लिये श्री भूराराम नायक, चिकित्सा सेवा के लिये श्री प्रवीण ठाकुर, पर्यावरण के लिये श्री निर्मल बरड़िया, ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के लिये श्री अशोक कुमार ओझा एवं लोक कला के लिये श्री शरद हर्ष केा सम्मानित किया गया।भारतीय मजदूर संघ के 85 वर्षीय वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री शिवकिशन जी जोशी का नागरिक अभिनंद किया गया।
कार्यक्रम का संचालन प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के सचिव एवं राष्ट्र साहित्य शोध प्रतिष्ठान के कार्यकारी निदेशक श्री बनवारी लाल शर्मा द्वारा किया गया।