आपणी हथाई न्यूज, रविवार को नई दिल्ली में आयोजित हुए दो दिवसीय जी 20 का समापन सुखद हो गया,मगर इस शिखर सम्मेलन से भारत को क्या फायदा पहुंचा ? इस बात को हम पांच बिंदुओं के माध्यम से समझते है।
1.जी 20 में दिखा ग्लोबल साउथ का दबदबा
सीधी बात कहे तो इस शिखर सम्मेलन से पहले पश्चिमी देशों का दबदबा नजर आता था मगर इस बार ग्लोबल साउथ यानि विकासशील और अल्प विकासशील देशों को प्रमोट किया गया। इससे पहले कई अहम मौकों पर पश्चिमी देशों ने कहा था कि अभी ग्लोबल साउथ का समय आने में समय है।लेकिन जी 20 के इस सम्मेलन में यह तय हो गया कि ग्लोबल साउथ का समय आ गया है। भारत ग्लोबल साउथ का लीडर बनकर उभरा है।
2. बढ़ेगी ग्लोबल मार्केट में मोल भाव की क्षमता
भारत जी 20 के साथ ऐसे चंद देशों में शामिल है जल ब्रिक्स और क्वॉड का भी हिस्सा हैं। इसके अलावा भी भारत अन्य ग्लोबल पहल का भी हिस्सा है। भारत के नजरिये से अच्छी बात ये है कि इन समूहों में एक दूसरे के विरोधी देश भी शामिल है। इन सभी में सक्रिय भारत की हिस्सेदारी के चलतें भारत अब ग्लोबल मार्केट में मोल-भाव करने की क्षमता को बढ़ा रहा है नतीजतन भारत को बड़ी ग्लोबल डील में अपनी शर्तों मनवाने का मौका मिलता रहेगा। उदाहरण के तौर पर बात करे तो रूस यूक्रेन युद्ध के समय भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदा और अन्य देशों को बेचा।
3.भारत ने निभाई मध्यस्थता
G20 सम्मेलन में एक और अमेरिका और यूरोप के देश हैं तो वहीं दूसरी ओर चीन और रूस जैसे देश जब जुलूस यूक्रेन युद्ध हुआ तो भारत में इसमें से किसी भी एक देश का पक्ष लेने की बजाय एक बैलेंस बनाकर रखा और लेकिन इस पर भी कई बार गंभीर सवाल उठे लेकिन भारत को किसी बड़े मंच पर ऐसा मौका नहीं मिल पाया जहां पर भारत अपना रुख साबित कर सके जी-20 समूह में भारत ने न सिर्फ संतुलन बनाए बल्कि सम्मेलन की समाप्ति के बाद दोनों विरोधी पक्ष भारत की मध्यस्थता को आत्मसात भी किया इस सम्मेलन के बाद अब भारत मध्यस्थ के रूप में स्थापित हो सकता है।
4.चीन,सऊदी का विकल्प
अभी तो कुछ वर्षों में चिन्ह इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अपनी मनमानी की है और उसका उपयोग उसने विस्तार व अधिकार्यक्रम के लिए भी किया है लेकिन भारत ने चीन को चेकमेट करते हुए BRI की तर्ज पर भारत मिडल ईस्ट यूरोप इकोनामी कॉरिडोर की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत करवा दी। वहीं दूसरी और तेल बाजार में ओपेक देशों की मोनोपोली को तोड़ने के लिए बायो फ्यूल अलायंस का एलान कर दिया। इसका असर दुनिया भर के देशों में व्यापार स्तर पर होगा। भारत दोनों पहल को अपने हिसाब से दिशा दे सकता है।
5. जी20 के क्लाइमेक्स में दिखा मजबूत भारत
कुछ वर्षों से भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने अनेक मानसून पर मंचों पर कहा है कि भारत का समय आ गया है इसका क्लाइमैक्स इस सम्मेलन में दिखा साउथ अफ्रीका ब्राजील इंडोनेशिया जैसे देश तमाम विकसित देशों के सामने न सिर्फ मजबूत बनकर उभरे बल्कि संदेश देने में भी सफल रहे कि अब कोई एजेंडा एक तरफ तय नहीं हो सकता भारत में विकसित देशों को बड़ी विनम्रता से एक तरफा फैसला नहीं लेने का गंभीर संदेश भी दे दिया।