आपणी हथाई न्यूज,देश की संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण कानून पारित होने के बाद भी हकीकत में देश में महिलाओं की दिशा और दशा में कोई बड़ा सुधार धरातल पर नजर नही आ रहा है।
आज इसी विचार को दृष्टिगोचर एक महिला जज की दुखभरी कहानी कर रही है। आज एक महिला जज ने देश के मुख्य न्यायाधीश से इच्छामृत्यु की मांग की है।
महिला जज यूपी के बांदा जिले की कोर्ट में फिलहाल कार्यरत है। महिला जज ने देश के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा है कि भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ है। जज ने लिखा है कि मैं दूसरों को न्याय देती हूं लेकिन मेरे साथ ही कोई इंसाफ नही कर रहा है।
महिला जज ने कहा कि जज होने के नाते मैंने इंसाफ की मांग की,लेकिन महज आठ सेकण्ड में मेरी बात की सुनवाई कर कोई एक्शन नही लिया गया। लेडी जज ने लिखा है कि मैंने लोगो को न्याय दिलाने के लिए न्यायिक सेवा जॉइन की थी,लेकिन अब मैं खुद ही पीड़ित हूं, इसलिए मुझे अब जीना नही है। मैं आत्महत्या करना चाहती हूं इसलिए भारत के मुख्य न्यायधीश मुझे इच्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करें।
असल में महिला जज के साथ उत्पीड़न की घटना सितंबर 2022 में हुई थी जब बार एसोसिएशन ने कार्य बहिष्कार का एलान किया था उसी दिन यह पीड़ित महिला जज कोर्ट में काम कर रही थी। उसी दिन बार एसोसिएशन के महामंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने महिला जज के साथ गाली गलौज की,कमरे की बिजली बंद कर दी और उनके साथ बदसलूकी की। महिला जज ने पत्र में लिखा है कि भारत की महिलाओं को वर्क प्लेस पर शारीरिक शोषण के साथ जीना सीख लेना चाहिए। महिला जज की मांग पर चीफ जस्टिस की टिप्पणी और फैसला फिलहाल प्रतीक्षारत है।
मनोज रतन व्यास