आपणी हथाई न्यूज,बीकानेर स्थित भीनासर में रियासत कालीन निर्मित श्री मुरली मनोहर मंदिर जिसका निर्माण तत्कालीन बीकानेर रियासत नरेश महाराजा श्री रतन सिंह के शासन काल मे हुआ था। यह मंदिर भीनासर क्षेत्र के अधिष्ठाता के रूप में माना व जाना जाता है। राजस्थान में विख्यात यह मंदिर जन जन की अटूट आस्था व अपार श्रद्धा का केंद्र बिंदु है।
इस बाबत एक प्रतिवेदन सामाजिक कार्यकर्ता चौरू लाल सुथार,निवासी सोनगिरि वेल,बीकानेर द्वारा श्री जोराराम कुमावत, केबिनेट मंत्री,देवस्थान विभाग,राजस्थान व श्री ओंकार सिंह लखावत,अध्यक्ष,राजस्थान धरोहर प्राधिकरण को प्रेषित कर अवगत कराया कि मंदिर के पूर्व दिशा की दीवार के अन्दर बने कमरे व बरामदे गिरकर मलबे में तब्दील हो गए है कमोबेश यही स्थिति उत्तरी दीवार की व अंदर बने दो मंजिला मोलायत भवन की है जिसकी दीवारों में पानी के रिसाव के कारण जगह जगह बड़ी बड़ी दरारें पड़ गई है व निज मंदिर के ऊपरी हिस्से व उस पर बने गुबंद से भी बरसात के मौसम में पानी टपकता है जिससे निज मंदिर को भी नुकसान पहुंचेगा।
मंदिर में बने पुजारी के निवास से रोज मर्रा के गंदे पानी की कोई निकासी की व्यस्था नहीं होने के कारण सारा गया गंदा पानी मंदिर परिसर में ही गड्ढा खोदकर उसमे सारा पानी डाला जा रहा है जिससे यहां गंदगी का आलम पसर रहा है अतः इसके समुचित निकासी हेतु आवास से पाइप लाइन के जरिये बाहर बने सिवरेज सिस्टम या नाली/नाले से जोड़ा जाए।
चौरू लाल सुथार ने आग्रह किया है कि मंदिर की पूर्वी व उत्तरी दीवार की जगह व्यावसायिक दुकाने बनाकर उन्हें किराए पर दे दी जाए तो इससे होने वाली आय से मंदिर की समय समय पर मररमत वे रंग रोगन आसानी से हो सकेगा तथा विभाग को भी राजस्व प्राप्त होगा तथा इससे बजट का अभाव भी नहीं रहेगा।
चौरू लाल सुथार ने आग्रह किया कि पूरे मंदिर परिसर की समुचित मरमत कराई जाए व मंदिर परिसर में पड़े खाली स्थान पर एक पार्क निर्माण किया जाए व उसमे बच्चों के लिए झूले आदि भी लगाए जाएं ताकि लोगो को इसका पूरा पूरा लाभ मिल सके व मंदिर की भी शोभा बढ़े।
सुथार ने अवगत कराया कि मंदिर परिसर के अंदर का हिस्सा व बाहर सड़क के लेवल में करीब 4 से 5 फिट का अंतर है इस कारण बरसात के मौसम में बाहर का पानी अंदर इक्कठा हो जाता है अतः इसके निस्तारण हेतु पूरे मंदिर परिसर में मिट्टी भराई की जावे ।
सुथार ने बताया कि 26 वर्ष पूर्व 1998 में देवस्थान विभाग की अनुमति से भामाशाह श्री पूर्णेश्वर महादेव चेरिटेबल ट्रस्ट,भीनासर द्वारा मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य करवाया गया था लेकिन उसके बाद आज तक मरम्मत आदि का कार्य नहीं होने के कारण मंदिर की हालत जीर्ण शीर्ण अवस्था की और अग्रसर होती जा रही है अगर समय रहते इस और ध्यान नहीं दिया गया तो मंदिर परिसर में बना मोलायत भवन जिसमे के कमरे व बरामदे है गिरकर मलबे में तब्दील होंगे इसमें कोई शक नहीं है।
सुथार ने इस प्रतिवेदन की प्रति यहां के जन प्रतिनिधियों के साथ साथ देवस्थान विभाग के आला उच्च अधिकारियों को भी प्रेषित की है व मांग की है कि तुरंत पूरे मंदिर के कार्यों का तखमीना बनाकर तथा उस पर होने वाले व्यय की रिपोर्ट प्रस्तुत कर इसी वितीय वर्ष 2024-25 में इसकी प्रशासनिक व वितीय स्वीकृति जारी करने के आदेश फरमाए ताकि रियासत काल मे निर्मित इस भव्य मंदिर का अस्तित्व बना रहे ।यह मंदिर एक रियासत कालीन अमूल्य धरोहर है जिसका सरंक्षण नितांत आवश्यक है।