आपणी हथाई न्यूज,सनातन धर्म की परम्परानुसार शरद पूर्णिमा के अवसर पर औषधीयुक्त खीर का प्रसाद लेने से दमा व श्वांस के रोगियों को लाभ प्रदान करने वाली ये एक राम बाण दवा तो है ही साथ ही व्यक्ति के मन मस्तिष्क और बौद्धिक क्षमता को सशक्त बनाने में भी सहायक है। ये बात राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, गंगाशहर में ‘‘औषधीयुक्त खीर वितरण समारोह‘‘ में भगवान धनवन्तरी व हनुमानजी की विशेष पूजा-अर्चना के बाद चिकित्सा अधिकारी डॉ. वत्सला गुप्ता ने कही।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह प्रसाद शरीर को ठंडा रखने एवं पित्त दोष को सन्तुलित करने में मदद करता है, क्योंकि चन्दमा की किरणों में उपचार करने की प्राकृतिक शक्ति होती है, जो शरद पूर्णिमा के दिन चांद की चांदनी में उजागर होती है, जिसे अमृत काल कहा जाता है, जो कि प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत आता है।
केन्द्र के मंत्री बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि चन्द्रमा की रोशनी में रात भर खीर का प्रसाद अमृत बन जाता है। 50 वर्षो से चली आ रही परिपाटी के अनुसार आज निःशुल्क रूप से 200 से अधिक व्यक्तियों को वितरण किया गया। शर्मा ने बताया कि केन्द्र में खीर लेने वालों का भारी जोश और उत्साह रहा। प्रातः 7.30 बजे से ही जन समूह की कतारें लग गई तथा पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण की कथा एवं पूजन के पश्चात् खीर रूपी प्रसाद को केन्द्र में आकर सभी ने आदर के साथ ग्रहण किया। पूजा-अर्चना पंडित शिवानन्द पारीक ने करवाई।
महिला व पुरूषों की भारी भीड़ के साथ बीकानेर आई.टी.आई के प्रिंसिपल कैलाश शर्मा, कार्यकारणी सदस्य सन्तोष व्यास, समाज सेवी भगवती चरण उपाध्याय, डॉ. ब्रहमप्रकाश शर्मा, डॉ. उमाकांत गुप्ता, महेश दाधिच, आदि की उपस्थिति रही।