आपणी हथाई न्यूज,पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन बीकानेर के सयुंक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय कैमल फेस्टिवल (अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव 2025) की आज 10 जनवरी से शुरुआत बीकानेर के नगरसेठ लक्ष्मीनाथ मंदिर के प्रांगण से हो चुकी है। आज से शुरू हुए ऊंट उत्सव कार्यक्रम के आगाज के साथ ही अंतरराष्ट्रीय पगड़ी कलाकार पवन व्यास ने महज 20 मिनिट 32 सेकंड में 2025 फिट लंबी पगड़ी बांधकर दुनिया की सबसे बडी पगड़ी का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया ।
व्यास ने बताया कि अब तक उनके द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी व सबसे छोटी एवं एक घंटे में सर्वाधिक पगड़ी बनाने का रिकॉर्ड बनाया गया है, साथ ही इस बार यह 2025 फिट लंबी पगड़ी ,मूंछ श्री 2018 राहुल शंकर थानवी के सिर पर बाँधी गई। जिसका अनुमानित वजन 23 किलो था ,जो की देशी-विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र रही ।
लक्ष्मीनाथ मंदिर में सुबह से ही इस वर्ल्ड रिकॉर्ड को लेकर सैलानियों और पर्यटकों की भीड़ देखने को मिली। इस रिकॉर्ड को वेरिफाई करने के लिए खास तौर पर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड ,लंदन टीम के प्रतिनिधि प्रथम भल्ला मौजूद रहे। वही रिकॉर्ड बनने के बाद रिकॉर्ड के पश्चात जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि , निगम आयुक्त मयंक मनीष,पर्यटन अधिकारी अनिल राठौड़ सहित कई अन्य अधिकारी भी इस मौके पर उपस्थित रहे। इसके बाद वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के प्रतिनिधि प्रथम भल्ला ने पवन व्यास को प्रमाण पत्र जारी किया ।
हेरीटेज वॉक के संयोजक गोपाल सिंह ने बताया कि वॉक में नगाड़ा, मश्क, चंग और बांसुरी वादन एवं भजन गायन की प्रस्तुतियां दी गई। वहीं देशी और विदेशी सैलानी मथेरण, बंधेज, पोट्री, सुनहरी कलम और साफा बांधने की कला से भी रूबरू हुए । इस दौरान लोक कलाकार, रोबीले और सजे-धजे ऊंट भी साथ नजर आये । भांडाशाह जैन मंदिर के पास हरियाणवी रागड़ी की प्रस्तुति दी गई तो वही हैरिटेज वाॅक का काफिला यहां से चूड़ी बाजार की ओर आगे बढ़ा तो यहां लाख की चूड़ी बनाने की कला को दर्शाया गया।
सब्जी बाजार की ऐतिहासिक चौकी पर शहर की ऐतिहासिक रम्मत का प्रदर्शन किया गया। बाजार में भुजिया, घेवर और जलेबी बनाने का लाइव प्रदर्शन किया गया तथा वाॅक के प्रतिभागी इनके स्वाद का लुत्फ लेते नजर आए ।
यहीं जूती बनाने की कला का प्रदर्शन भी किया गया था। हैरिटेज वाॅक के दौरान मरूनायक चौक में ब्लाॅक और स्क्रीन प्रिंटिंग का प्रदर्शन किया गया। मोहता चौक के बड़े पाटे पर पारम्परिक भोजन बनाने का प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं प्रतिभागियों को चाय के साथ कचौड़ी खिलाई गई। यहीं भपंग वादन का प्रदर्शन भी किया जाएगा। मोहता चौक में ही बीकानेर की प्रसिद्ध रबड़ी लाइव बनते भी दिखाई गई।
यहीं लोक कलाकारों द्वारा गणगौर के गीतों की प्रस्तुति के स्वर सुनाई दे रहे थे और कठपुतली के खेल के माध्यम से विभिन्न संदेश दिए गए। इसके अलावा मोहता चौक में पारंपरिक बर्तनों की भी एक झांकी सजाई गई। वाॅक का समापन करीब 11.30 बजे रामपुरिया हवेलियों के पास हुआ। यहां उस्ता कला, हवेली संगीत और कच्छी घोड़ी का भी प्रदर्शन किया गया।