
आपणी हथाई न्यूज, आखिरकार शुक्रवार की रात जिला कलक्टर परिसर में देशनोक ओवरब्रिज सड़क हादसें में जान गंवाने वेक मृतक के परिजनों और उनके समर्थकों का 11 दिन से चल रहा धरना और आंदोलन शुक्रवार रात सिरे चढ़ गया।
प्रशासन की ओर से पुलिस महानिरीक्षक की अगुवाई में हुई वार्ता में पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद पर सहमति बन गई। प्रशासन ने चिरंजीवी योजना के पांच-पांच लाख रुपए के साथ प्रत्येक परिवार को दस-दस लाख रुपए की आर्थिक मदद, परिवार के एक-एक सदस्य को संविदा पर नौकरी और एक-एक डेयरी बूथ के आवंटन का प्रस्ताव दिया। जिस पर संघर्ष समिति की ओर से शामिल नेता और पीड़ित परिवारों के प्रतिनिधि सहमत हो गए।


प्रशासन ने रात 9 बजे संघर्ष की अगुवाई कर रहे पूर्व मंत्री गोविन्दराम मेघवाल, सूरतगढ़ विधायक डूंगरराम गेदर, संघर्ष के अगुवा नेता महेन्द्र गहलोत व रामनिवास कूकणा, प्रवक्ता ओमप्रकाश सैन, महेन्द्र मारू सागर, मुकेश मारू, जयनारायण मारू और पीड़ित परिवारों की ओर से लालचंद नाई वार्ता के लिए आईजी ऑफिस पहुंचे। केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल की ओर से भी वार्ता में एडवोकेट अशोक भाटी, मुरलीधर सैन, मघाराम नाई, धनराज सोलंकी, जसकरण मारू ने वार्ता में पीड़ित परिवारों को मदद के लिए अधिकारियों से आग्रह किया।
काफी देर चली बातचीत के बाद प्रशासन ने मृतक आश्रितों को पात्रता अनुसार सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने, एक-एक डेयरी बूथ प्रत्येक परिवार को आवंटित करने, एक-एक बालिग सदस्य को संविदा पर नौकरी देने तथा चिरंजीवी योजना के लाभ को मिलकार 15-15 लाख रुपए की आर्थिक सहायता करने प्रस्ताव रख संघर्ष समिति से आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया।
संघर्ष समिति ने दुर्घटना के मामले को दुर्घटना एवं श्रम न्यायालय चलाकर 25-25 लाख रुपए मदद दिलाने का भी प्रस्ताव दिया। इस तरह कुल 40-40 लाख रुपए की आर्थिक मदद दिलाने का आग्रह किया। इस पर दोनों पक्षों में सहमति बन गई। वार्ता के दौरान जिला प्रशासन की ओर से संघर्ष समिति के नेता रामनिवास कूकणा के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रोष दर्ज कराया गया। महेन्द्र गहलोत ने संघर्ष में सहयोग करने पर सैन समाज के साथ सभी समाज और वर्गों का आभार जताया हैं।