राजस्थान में रोशनी के त्योहार दीपावली से पहले बिजली संकट गहराता जा रहा है। प्रदेश में लगातार बिजली कटौती और बिजली उत्पादन करने वाली यूनिट के बंद होने से बिजली संकट के संकेत साफ दिखाई दे रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बिजली संकट के पीछे कोयले की कमी सबसे बड़ी वजह है। प्रदेश में कोयले की कल्प कमी के चलते बिजली संकट गहरा गया है।
राजस्थान के थर्मल बिजली घरों में फिलवक्त औसत 4 दिन का ही कोयले का स्टॉक बचा है, जबकि केंद्र की गाइडलाइंस के मुताबिक थर्मल बिजली घरों में 26 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए। प्रदेश में बीते 1 साल से कोयले की कमी लगातार बनी हुई है।
प्रदेश में कोयले की कमी के चलते चार बिजली घरों की 11 यूनिट बंद हो चुकी है जिसमें कोटा थर्मल पावर प्लांट की तीन,राजवेस्ट की 2,सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 4,रामगढ़ की 1 यूनिट और छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की 1 यूनिट शामिल है। इन 11 यूनिट के बंद होने से
करीब 2400 मेगावाट कैपिसिटी बिजली का प्रोडक्शन रुक गया है।
फिलहाल प्रदेश में बिजली संकट से निपटने के लिए पावर एक्सचेंज और करार के जरिए बिजली खरीद पर जोर दिया जा रहा है।राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने बिजली की कमी से निपटने के लिए एक्सचेंज से बिजली खरीदने का रास्ता निकाला है एक्सचेंज से 60-70 लाख यूनिट तक बिजली की खरीद करके पावर क्राइसिस को डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है।