रंगमंच का पांच दिवसीय महाकुंभ ‘बीकानेर थियेटर फेस्टिवल’ मंगलवार को (चंद्रकांता फेम क्रूर सिंह) अखिलेंद्र मिश्र द्वारा निर्देशित नाटक विवेकानंद का पुनर्पाठ के मंचन के साथ संपन्न हुआ। दर्शकों से खचाखच भरे रविंद्र रंगमंच में मिश्र की एकल प्रस्तुति को बेहद वाहवाही मिली। मिश्र द्वारा संकलित, संपादित, लिखित और निर्देशित विवेकानंद का पुनर्पाठ में स्वामी विवेकानंद की जीवन यात्रा kk प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। बीकानेर के लिए यह पहला अवसर था।
आयोजन समिति सदस्य हंसराज डागा ने बताया कि फेस्टिवल के सातवें संस्करण के तहत कुल 25 नाटक मंचित हुए। इनमें 15 शहरों के लगभग 500 रंगकर्मियों ने भाग लिया। शहर के छह रंगमंच इस समारोह के साक्षी बने। अंतिम दिन मंचित होने वाले नाटकों में प्रातः 11 बजे हंशा गेस्ट हाउस में गोवा के विजय नाईक के ‘हीरा बाई’, दोपहर 2 बजे रेलवे ऑडिटोरियम में असम के असीम नाथ का ‘हेवन टू हेल’, सायं 4 बजे टाउन हॉल में दिल्ली के अजीत चौधुरी के ‘पति गयी री काठियावाड़’, सायं 5ः45 बजे रविन्द्र रंगमंच पर असम के पबीत्र राभा का ‘कीनो काऊ’ शामिल रहे।पांच दिवसीय समारोह का अंतिम नाटक विवेकानंद का पुनर्पाठ रहा।
सुरेंद्र धारणिया ने बताया कि अंतिम दिन रंगकर्मियों के साथ खुला रंग संवाद आयोजित हुआ। वहीं अभिनय कार्यशालाएं भी मंगलवार को सम्पन्न हुई। अंतिम दिन तक अनेक लोगों ने पुस्तक दीर्घा, कला प्रदर्शनी और फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन भी बड़ी संख्या में आमजन ने किया।
मधु सूदन अग्रवाल ने बताया कि चार राज्यों के निर्देशकों के नाटक मंचित हुए। इस दौरान डॉ. नंद किशोर आचार्य, मधु आचार्य आशावादी, जतनलाल दुग्गड़, रमेश बोहरा, सुनील जोशी, गिरिराज खेरीवाल, के.के. रंगा, हिमांशु व्यास सहित अनेक लोग मौजूद रहे। विभिन्न सत्रों का संचालन संजय पुरोहित और हरीश बी शर्मा ने किया।