आपणी हथाई न्यूज़, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय का छठा दीक्षांत समारोह रविवार को वर्चुअल प्लेटफार्म पर राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। दीक्षान्त समारोह के दौरान वर्ष 2019 की परीक्षाओं के 1.05 लाख विद्यार्थियों को उपाधियां तथा 6 संकायों के 55 शोधार्थियों को विद्या वाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधियां प्रदान की गई।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि महिला शिक्षा को बढ़ावा देकर ही वास्तविक रुप से समाज का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। लड़कियों को शिक्षा के बेहतर अवसर मिलें तो वे भी आसमान छू सकती हैं। राज्यपाल ने दीक्षांत दिवस को विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव बताया और कहा कि उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग स्वनिर्माण के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के उत्थान में करें।
राज्यपाल ने बीकानेर को अपनत्व का शहर बताया तथा कहा कि राव बीका का बसाया यह शहर कला व संस्कृति का संरक्षक और संवाहक है। उन्होंने महाराजा गंगा सिंह को दूरदर्शी बताया और कहा कि उन्होंने बीकानेर को आधुनिकता से जोड़ा। गंगनहर बीकानेर के लिए उनकी सबसे बड़ी देन थी। राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि बीकानेर की परंपराएं अनूठी हैं। यहां की गंगा-जमुनी संस्कृति देश और दुनिया में मिसाल है। उन्होंने बीकानेर के साहित्यकार स्व. छगन मोहता, हरीश भादानी तथा यादवेंद्र शर्मा चंद्र के साहित्यिक अवदान को याद किया।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा में आधुनिकीकरण जरुरी है, जिससे विद्यार्थी दुनिया के साथ आगे बढ़ सके। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए। शिक्षा ऐसी हो जिसका उपयोग मानवता के कल्याण के लिए किया जाए और विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास भी हो। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान कार्यों पर जोर देने का आह्वान किया। साथ ही स्थानीय ज्ञान और परंपराओं को आगे बढ़ाने की आवश्यकता जताई।
राज्यपाल ने शिक्षा की क्षेत्रीय आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर की श्रेष्ठ संस्थओं के साथ समन्वय एवं भागीदारी का आह्वान किया। विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक एवं शोध कार्यों के साथ ही खेलकूद के उच्चतम मापदण्डों को ध्यान रखते हुए सुविधाएं विकसित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने परिसर हरित एवं प्रदूषण रहित बनाने की दिशा में भी कार्य करना चाहिए। साथ ही विश्वविद्यालयों में ग्रीन सोलर कॉरिडोर की क्षमता बढ़ाते हुए विद्युत क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का भी आह्वान किया।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड महामारी का दौर पूरी मानवता के लिए कष्टदाई था। इस दौरान सब कुछ रुक गया। उन्होंने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस चुनौतीपूर्ण तो में भी महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय द्वारा वर्चुअल माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियां जारी रखी गई तथा विश्वविद्यालय द्वारा स्मार्ट क्लासेज विकसित किए गए। उन्होंने विश्वास जताया कि विश्वविद्यालय द्वारा भविष्य में भी शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे नवाचार किए जाएंगे, जो विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होंगे।
दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव थे। विशिष्ट अतिथि के रूप नेल्सन इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंटल स्टडीज, यूनिवर्सिटी ऑफ विंस्कॉसिन मेडिसन यूएसए के डॉयरेक्टर प्रो. पॉल रोबिन्स थे। समारोह में राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री सुबीर कुमार एवं प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंद राम जायसवाल भी मौजूद रहे।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया एवं विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंन कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के लिए अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव कर इन्हें नवीन स्वरूप दिया है। विश्वविद्यालय में लर्निंग ‘आउटकम बेस्ड केरिकुलम फ्रेम वर्क’ कर दिया गया है। पाठ्यक्रम को रोजगारोन्मुखी बनाया गया है और विभिन्न रोजगारोन्मुखी सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए जाने प्रस्तावित हैं। इसके साथ ही विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण पर बल दिया गया है।
कुलपति ने कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा देने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा स्टार्टअप एवं इनोवेशन पॉलिसी लागू की गई है। इसके क्रियान्वयन से स्थानीय जरूरतों को पूरा करने हेतु अन्वेषण पश्चात् स्टार्टअप की स्थापना हो सकेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियों एवं संभावनाओं को दृष्टिगत रखतेे हुए और आगामी शैक्षणिक यात्रा को योजनाबद्ध करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय द्वारा विजन-2030 तैयार किया जा रहा है। इसके तहत विश्वविद्यालय में स्टूडेंट सपोर्ट सिस्टम विकसित कर विद्यार्थी हित को प्राथमिकता प्रदान करना, स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स की स्थापना करना, विद्यार्थियों एवं जनमानस की सुविधा हेतु हैल्पलाइन एप विकसित करना, विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों के संकाय सदस्यों के अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित कर इनहें प्रशिक्षित करना, विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार एवं भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए डेज़र्ट स्टडीज पर शोध निर्देशित करना, क्षेत्रीय एवं सामाजिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम एवं शोध कार्य को प्राथमिकता देना, विभागों में शिक्षण सहयोगी प्रणाली विकसित करना, सेन्टर फॉर एक्सीलेन्स को स्थापित करना आदि सम्मिलित हैं।
इससे पहले दीक्षान्त समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई। राज्यपाल श्री मिश्र द्वारा संविधान की प्रस्तावना एवं अनुच्छेद 51 क में वर्णित मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया गया।
चूरू की गुंजन को कुलाधिपति पदक
राजकीय लोहिया महाविद्यालय, चूरू की छात्रा गुंजन तोदी को कुलाधिपति पदक, श्री जैन कन्या पी.जी. महाविद्यालय, बीकानेर की छात्रा मोनारानी मुंजाल को कुलपति पदक, स्नातक वाणिज्य में सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाली बिनानी कन्या महाविद्यालय, बीकानेर की छात्रा साक्षी पुरी को आई.सी.एस.आई. अवार्ड प्रदान किया गया। साथ ही परीक्षा 2019 में सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाले 56 अभ्यर्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किया गए। दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित स्मारिका दीक्षा का विमोचन भी किया गया।
कुलसचिव यशपाल आहूजा ने आभार व्यक्त किया। दीक्षांत समारोह में संकायाध्यक्ष प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ. जी.पी. सिंह, डॉ. भगवानाराम विश्नोई, डॉ. मीनू पूनिया, डॉ. मीनाक्षी मिश्रा, प्रबन्ध बोर्ड एवं विद्या परिषद् में मनोनीत सदस्य डॉ. एन.एस. बिस्सा, डॉ. अनन्त जोशी, डॉ. श्रवण सैनी, डॉ. बी.एल. विश्नोई, प्रो. अनिल कुमार छंगाणी, प्रो. राजाराम चोयल सहित विश्वविद्यालय विद्या परिषद् के सदस्य मौजूद रहे। ऑनलाइन कार्यक्रम के पश्चात् कुलपति महोदय द्वारा उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को पदक एवं उपाधि प्रदान की गई।