आपणी हथाई न्यूज़, विश्व मातृभाषा दिवस के अंतर्गत सेठ भैरू दान चोपड़ा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गंगाशहर में पोस्टर पेंटिंग भाषण वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। विद्यालय के राजस्थानी भाषा के व्याख्याता अशोक कुमार व्यास ने राजस्थानी भाषा के महत्व पर व्याख्यान दिया । श्री व्यास ने राजस्थानी भाषा के प्राथमिक शिक्षा में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। राजस्थानी को शिक्षा का माध्यम बनाएं जाने की महत्ता पर बल देते हुए बताया कि राजस्थानी भाषा छठी शताब्दी से अपने लिखित रूप में मौजूद है । साहित्य की सभी विधाओं में आज राजस्थानी में लगातार साहित्य लेखन किया जा रहा है । विभिन्न प्रकार की पत्र-पत्रिकाओं में राजस्थानी का स्वरूप निरंतर निखर रहा है । राजस्थान के सभी विश्वविद्यालयों में राजस्थानी भाषा के विभाग मौजूद हैं । अनेक राजकीय विद्यालयों में राजस्थानी भाषा ऐच्छिक विषय के रूप में हजारों विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही है । यूजीसी ने भी राजस्थानी भाषा को मान्यता दी हुई है । भारत के अनेक विद्यार्थी यूजीसी द्वारा नेट सेट और जूनियर रिसर्च फैलोशिप प्राप्त कर रहे हैं। यहां तक कि केंद्रीय साहित्य अकादमी भी राजस्थानी साहित्य को प्रोत्साहित कर रही है । आज विश्व की अनेक भाषाओं में राजस्थानी साहित्य अनूदित किया जा रहा है और राजस्थानी में भी अनेक भाषाओं का साहित्य अनूदित किया जा रहा है। 8 करोड से अधिक राजस्थानीयों की मायड़ भाषा किसी भी स्तर पर कमतर नहीं है। यह इतनी समृद्ध भाषा है कि संवैधानिक मान्यता हेतु निर्धारित सभी मापदंड यह पूरा करती हैं। यदि इस भाषा को मान्यता दी जाती है तो यह 8 करोड़ से अधिक राजस्थानीयों के साथ विश्व के लिए गौरव की बात होगी। यदि राजस्थानी भाषा को प्राथमिक स्तर से ही लागू कर दिया जाता है तो धीरे-धीरे जीवन के सभी पक्षों में इसका उपयोग बढ़ेगा रोजगार के अवसर पैदा होंगे ।
विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री प्रदीप कुमार ने विद्यार्थियों के राजस्थानी भाषा के प्रति लगाव और स्नेह को और अधिक प्रेरित करते हुए उनके द्वारा तैयार किए गए पोस्टर पेंटिंग निबंध ओं का अवलोकन किया और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए शिक्षण में राजस्थानी भाषा के अधिकाधिक उपयोग की महत्ता पर भी बल दिया।