आपणी हथाई न्यूज,फाल्गुन मास लगते ही देशभर में होली के पारंपरिक गीत व धमाल से ठाकुर जी के मंदिरों में फाग गाई जाती है। फाग गायन देशभर में लोक कला में शामिल है। उत्तर प्रदेश के जतीपुरा स्थित गिरिराज जी में हर वर्ष फाल्गुन मास में प्रतिदिन भगवान गिरिराज जी को फाग गायन के जरिए रिझाया जाता है। राजस्थान में भी फाग गायन का समृद्ध इतिहास है। पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर व नागौर सहित कई इलाकों में फाग गायन का प्रचलन है। राजस्थान के जैसलमेर के फाग गायक जिन्हें रसिया भी कहा जाता है इन रसियों की टोली इस बार उत्तर प्रदेश के जतीपुरा स्थित गिरिराज मंदिर में फाग गायन करेगी।
जैसलमेर में यह प्रचलित है कि ‘होली या तो बरसाणे की या जैसाणे की’ मतलब जैसलमेर में यह माना जाता है कि देश भर में प्रसिद्ध बरसाने की होली के बाद राजस्थान के जैसलमेर की होली देशभर में विख्यात है। ऐसा इसलिए माना जाता है क्योंकि जैसलमेर में फाग गायक जिन्हें रसिया कहा जाता है उनके द्वारा गाए जाने वाले फाग गीतों को राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भी गाया जाता है। जैसलमेर के रसिया इस बार जतीपुरा स्थित गिरीराजजी में फाग गायन करेंगे इससे पहले यह रसिया नाथद्वारा स्थित श्रीनाथजी मंदिर में भी दो बार फाग गायन कर चुके हैं।
जैसलमेर से इस बार लगभग 111 रसिया गिरिराज जी जाएंगे जिसमें 21 महिला सदस्य भी शामिल है। आज रात जैसलमेर से रवाना होकर रसिया सुबह बीकानेर होते हुए शाम को जतीपुरा पहुंचेंगे, बीकानेर रेलवे स्टेशन पर जैसलमेर के रसियो का स्वागत सत्कार भी किया जाएगा।