भारत के आम लोगो के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध एक लिहाज से फायदेमंद होता दिख रहा है। जैसा कि सब को लग रहा था कि 5 राज्यों की चुनावी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद भारत सरकार पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढ़ाएंगी,लेकिन चुनावों के रिजल्ट के एक हफ्ते बाद भी तेल की कीमतों में इजाफा नही हुआ है। कीमतों में आकस्मिक वृद्धि न होने के अनेक कारणों में से एक कारण रूस पर दुनिया के बड़े देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध भी है। आर्थिक प्रतिबंधो के कारण रूस से इन दिनों बड़े यूरोपीय देश कच्चा तेल नही खरीद रहे है। रूस के पास कच्चे तेल का खूब सारा स्टॉक पड़ा है। युद्ध के कारण आर्थिक मार झेल रहा रूस अपने देश के कच्चे तेल को जैसे तैसे करके इंटरनेशनल मार्केट में बेचना चाह रहा है। रूस ने इसी बाबत भारत सरकार को डिस्काउंट पर कच्चा तेल खरीदने की गुजारिश की है। इंटरनेशनल समाचार एंजेसी रॉयटर्स के अनुसार रूस का पुराना दोस्त भारत रूस के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। यूं भी इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम लगातार घट रहे है और भारत को तो रूस विशेष छूट के साथ क्रूड ऑयल देने का ऑफर कर रहा है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों में वृद्धि को फिलहाल होल्ड पर रखा हुआ है।
मनोज रतन व्यास