आपणी हथाई न्यूज़, सात बार के लोकसभा सांसद,तीन बार के राज्यसभा सांसद और अनेक बार भारत सरकार में मंत्री रहे शरद यादव ने सिर्फ सरकारी बंगले के लिए अपने तीस सालों से दुश्मन रहे लालू यादव की पार्टी से हाथ मिला लिया है? हालात तो यही दिखा रहे है। शरद यादव ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया है। शरद यादव को नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड से 2018 में निकाल दिया था। शरद यादव फिर भी राज्यसभा सांसद के तौर पर मिले बंगले में आज तक रह रहे है। अब शरद यादव के बंगले को केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के लिए आंवटित कर दिया गया है। शरद को अब हर हाल ही में 2 महीने के भीतर बंगला खाली करना है,इसलिए अब शरद उसी लालू की पार्टी की गोद मे जाकर बैठ गए है, जिस लालू का उन्होंने पिछले तीन दशकों तक जमकर विरोध किया। लालू को शरद ने लोकसभा चुनावों में भी हराया है। 1997 में जनता दल अध्यक्ष पद के लिए लालू और शरद के बीच ठन गई थी,लालू की शरद के सामने एक नही चली और हारकर लालू ने अपनी ही पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बना ली। शरद यादव ने लालू को चारा घोटाले में जेल होने पर सार्वजनिक रूप से खुशी जाहिर की थी। अब शरद को कोई पूछ नही रहा है, रहने को दिल्ली में बंगला चाहिए इसलिए तेजस्वी के सामने घुटने टेक दिए है। सुना है तेजस्वी शरद को राज्यसभा भेज सकते है, राज्यसभा सांसद बनने पर शरद का बंगला भी बच जाएगा।
मनोज रतन व्यास