आपणी हथाई न्यूज,पितृपक्ष में होने वाली श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस सत्यनारायण जी के मंदिर से कथा स्थल श्री डुडी जी की कोटड़ी तक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, तदुपरांत कथा के दौरान परम पूज्य श्री शिवेंद्र स्वरूप जी महाराज द्वारा भागवत कथा के महात्मय पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कलयुग में वेद शास्त्र एवं पुराण अनेक होने पर भी जीव के पास स्वाध्याय करने का समय बहुत कम है और उस कम समय में भी जीव के पास पारिवारिक एवं व्यक्तिगत उत्तरदायित्व उसके स्वाध्याय में बाधा बन जाते हैं ।
अतः जीव को अपना कल्याण करने के लिए हंस की तरह क्षीर और नीर को अलग करके उसमें से सार तत्व निकाल लेना चाहिए, व्यक्ति को अपना कल्याण करने के लिए ही यह मानव शरीर मिला है अतः जीव को अपने सद्गुरु द्वारा प्राप्त विवेक बुद्धि द्वारा हंस की तरह अपने जीवन में क्षीर और नीर को अलग करते हुए उसमें से सार तत्वों को ही ग्रहण करना चाहिए और इस विवेक बुद्धि द्वारा अपना कल्याण करना चाहिए। महाराज श्री ने श्रीमद् भागवत कथा के संबंध में बताया की श्रीमद् भागवत कथा एक संवाद स्वरूप कथा है और जहां संवाद होता है वहां व्यक्ति को मार्गदर्शन प्राप्त होता है ।
श्रीमद् भागवत ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान श्री कृष्ण का आदोपरान्त वर्णन किया गया है । भागवत भक्ति ज्ञान वैराग्य और तप की ही कथा है । जीव द्वारा अपने वर्णाश्रम धर्म के अनुसार किया गया कर्म ही तप है, यदि जीव ईमानदारी से अपने वर्णाश्रम कर्म का पालन करना शुरू कर दें तो उसे भक्ति ज्ञान और वैराग्य की निश्चित रूप से प्राप्ति हो जाती है । आज की कथा में श्रीमद् भागवत महात्म के दौरान आत्मदेव धुंधकारी और गोकर्ण का वृत्तांत सुनाया गया तथा श्रीमद् भागवत में वर्णित कुंती स्तुति एवं भीष्म स्तुति पर प्रकाश डाला गया आज प्रथम दिवस की कथा में ही पंडाल लगभग भर गया ।