आपणी हथाई न्यूज,देश के सबसे प्रतिष्ठित और विश्वसनीय कारोबारी घरानों में से एक टाटा ग्रुप को पश्चिम बंगाल में 11 साल बाद एक बड़ी जीत हासिल हुई है। दरअसल, पुराने सिंगूर जमीन विवाद में टाटा को यह बड़ी सफलता मिली है। अब ममता बनर्जी सरकार ग्रुप की ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपये देगी।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में सिंगूर में टाटा मोटर्स के नैनो प्लांट (Nano Plant) को ममता बनर्जी से पहले की वामपंथी सरकार द्वारा अनुमति मिली थी। इस परमिशन के तहत बंगाल की इस जमीन पर रतन टाटा के ड्रीम प्रोजेक्ट (Ratan Tata) नैनो के प्रोडक्शन के लिए कारखाना स्थापित किया जाना था। तब ममता बनर्जी विपक्ष में थीं और वामपंथी सरकार की नीतियों के खिलाफ थीं और इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रही थीं। इसके बाद जब ममता बनर्जी की सरकार बनी, तो सत्ता पर काबिज होने के साथ ही उन्होंने टाटा ग्रुप को बड़ा झटका दे दिया।
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही एक कानून बनाकर सिंगूर की करीब 1000 एकड़ जमीन उन 13 हजार किसानों को वापस लौटाने का फैसला किया। बता दें ये वहीं जमीन थी, जिसका अधिग्रहण टाटा मोटर्स ने अपना नैनो प्लांट लगाने के लिए किया था।इस पूरे घटनाक्रम के बाद Tata Motors को अपना नैनो प्लांट पश्चिम बंगाल से हटाकर गुजरात (Gujarata) में शिफ्ट करना पड़ा।
टाटा मोटर्स ने इस प्रोजेक्ट के तहत किए गए पूंजी निवेश के नुकसान को लेकर पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी WBIDC से मुआवजे के जरिए भरपाई किए जाने का दावा पेश किया था।सोमवार को इस मामले में टाटा मोटर्स को बड़ी जीत हासिल हुई. इस फैसले की जानकारी देते हुए टाटा मोटर्स की ओर से कहा गया कि तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने Tata Motors Ltd के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है।
इस मामले में अब टाटा मोटर्स प्रतिवादी ममता बनर्जी सरकार के अधीन पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम से 765.78 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार है। इसमें 1 सितंबर 2016 से WBIDC से वास्तविक वसूली तक 11% प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी शामिल है।