आपणी हथाई न्यूज़, योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री के दूसरे कार्यकाल में भी पर्दे के पीछे तो मोदी नीति ही काम कर रही है। योगी भले ही यूपी में 4 दशक बाद सरकार रिपीट करने वाले सीएम बन गए हो,लेकिन यूपी के पूरे प्रशासन पर भारत सरकार के प्रधानमंत्री कार्यालय की पैनी नजर रहती है। गुजरे 25 मार्च को योगी मंत्रिमंडल के शपथग्रहण समारोह का संचालन आईएएस अधिकारी दुर्गा शंकर मिश्रा ने किया था। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव है। मुख्य सचिव ही किसी राज्य का प्रशासनिक मुखिया होता है। मिश्रा की नियुक्ति योगी आदित्यनाथ ने नही बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है। दिसम्बर 2021 में यूपी चुनाव से ठीक पहले भारत सरकार ने मिश्रा को यूपी का मुख्य सचिव बनाकर भेजा और फिर योगी आदित्यनाथ सरकार ने मिश्रा की नियुक्ति का ऑर्डर जारी किया। मिश्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबसे भरोसेमंद अफसरों में से एक है। मिश्रा को उनके रिटायरमेंट के महज तीन तीन पूर्व एक्सटेंशन देकर मोदी ने यूपी भेजा है। अमूमन चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति राज्य सरकार करती है लेकिन यूपी के मौजूदा मुख्य सचिव मोदी के पसन्द के है। मिश्रा 2017 से यूनियन हाउसिंग सेक्रेटरी थे। मिश्रा ही मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा और नई संसद को मॉनिटर कर रहे थे। मिश्रा का ही विजन मोदी की कई फ्लैगशिप योजनाएं स्वच्छ भारत मिशन,स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स,देश भर में फैल रहे मेट्रो रेल प्रोजेक्ट्स में रहा है। मोदी यूपी सरकार के दूसरे कार्यकाल में त्वरित परिणाम चाहते है और 2024 लोकसभा चुनावों से पूर्व जमीन पर काम होता देखना चाहते है, इसलिए मिश्रा की नियुक्ति योगी के पसंदीदा अफसर आर के तिवारी को किनारे कर मिश्रा को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी है। मिश्रा की तरह ही एक और आईएएस अफसर ए के शर्मा को मोदी ने योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में शामिल करवाया है। शर्मा भी गुजरात कैडर के अफसर रहे है। शर्मा को भी मोदी के ही कहने पर योगी सरकार में अर्बन डेवलपमेंट का विभाग दिया गया है।
मनोज रतन व्यास