आपणी हथाई न्यूज,राजस्थान की 199 विधानसभा सीटों पर कल मतदान सम्पन्न हो गया। राजस्थान की 8 करोड़ जनता को 3 दिसम्बर का बेसब्री से इंतज़ार है, इसी दिन मतगणना होनी है। 199 सीटों में से देश की सारी मीडिया और सोशल साइट्स पर सबसे ज्यादा जिस सीट की चर्चा है वो है बाड़मेर की शिव विधानसभा सीट।
शिव विधानसभा सीट एक 32 साल के युवा रविन्द्र सिंह भाटी के कारण देश-विदेश में सुर्खियां का कारण बनी हुई है। रविन्द्र सिंह भाटी शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। भाटी की जनसभाओं में उमड़ी भीड़ को देखकर भाजपा और कांग्रेस दोनों हैरत में है।यूं भाटी ने पिछले ही महीने भाजपा जॉइन की थी। भाटी को उम्मीद थी कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उन्हें अपने गृहनगर शिव से चुनाव लड़ने का अवसर देगा,लेकिन ऐसा हुआ नही और भाटी ने भाजपा जॉइन करने के नौ दिन बाद ही स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरने का ऐलान कर दिया। सूत्रों की माने तो भाजपा भाटी को सीएम गहलोत के सामने लड़वाना चाहती थी लेकिन रविन्द्र सिंह शिव सीट के लिए अड़े रहे।
रविन्द्र सिंह भाटी 2019 में जोधपुर की जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से अध्यक्ष का चुनाव रिकॉर्ड मतों से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत चुके है। भाटी को तब भी भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी से टिकट की आस थी लेकिन टिकट नही मिला तो भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में जीत हासिल की। जयनारायण विश्वविद्यालय के 57 साल के इतिहास में पहली बार कोई अध्यक्ष निर्दलीय चुनाव जीता और ये उपलब्धि भी भाटी के ही नाम रही।
रविन्द्र सिंह भाटी पिछले तीन सालों से शिव विधानसभा सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। भाटी के सामने कांग्रेस के अमीन खान और भाजपा के स्वरूप सिंह खारा है। इसके अलावा कांग्रेस के ही बागी फतेह खान भी है।
चुनाव से पूर्व हरेक राजनीतिक विश्लेषक यह कह रहा रहा था कि रविन्द्र सिंह भाटी भले ही युवाओं और सोशल मीडिया में बेहद लोकप्रिय है लेकिन शिव विधानसभा सीट के जातीय समीकरण और निर्दलीय प्रत्याशी होने के कारण भाटी तीसरे या चौथे स्थान पर ही रहेंगे लेकिन अब चुनाव सम्पन्न होने के बाद सभी राजनीतिक पंडितों की राय बदल गई है। सट्टा बाजार भाटी के जीत के दावे कर रहा है और चुनावी पंडित अब भाटी को जबरदस्त फाइट में बता रहे है।
भाटी ब्रांडेड कपड़ो में दिखते है, लग्जरी गाड़ियों के काफिले के साथ चलते है। भाटी अपना सम्बोधन ठेठ राजस्थानी भाषा मे ही देते है। राजस्थानी भाषा से ही स्नातकोत्तर है और वकालत की पढ़ाई भी कर चुके है। भाटी चुनाव जीतते है या हारते है यह अगले इतवार को ही पता लगेगा लेकिन रविन्द्र सिंह भाटी पश्चिमी राजस्थान के बड़े मास लीडर बनकर उभरे है, इसमें कोई दो मत नही है। भाटी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों वेट एंड वॉच की स्थिति में है, लेकिन भाटी के हालिया बयानों से लगता है कि 3 दिसम्बर के बाद वह भाजपा की ओर अपनी राजनीतिक पारी का भविष्य देखेंगे।
मनोज रतन व्यास