आपणी हथाई न्यूज,मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी‘ आधुनिक राजस्थानी गद्य के जनक थे। उन्होंने मायड़ भाषा के उन्नयन के लिये हरसंभव प्रयास किये। उन्होंने हमेशा राजस्थानी में ही लिखने-बोलने की प्रतिज्ञा की थी, इस कारण उन्हें राजस्थानी का ‘बेन यहूदा‘ कहा जाता है।
ये विचार साहित्यकारों ने राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी व मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी‘ स्मृति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी‘ की पुण्यतिथि पर अकादमी सभागार में आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किये। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि मुरलीधर व्यास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नारी-दलित विमर्श को नई चेतना दी। उन्होंने राजस्थानी कहानी के साथ-साथ रेखाचित्र, संस्मरण, व्यंग्य आदि विधाओं में भी अविस्मरणीय लेखन किया। उन्होंने राजस्थानी शब्दकोश के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया। अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि मुरलीधर व्यास ने कुरीतियों, अंधविश्वास के विरुद्ध कलम चलाई। अकादमी की ओर से उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक एवं दो विशेषांकों का प्रकाशन किया गया है, साथ ही उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष पुरस्कार भी दिया जाता है।
साहित्यकार गोविन्द जोशी ने कहा कि व्यास जी राजस्थानी भाषा-साहित्य के अग्रणी साहित्यकार थे। शंकरसिंह राजपुरोहित ने कहा कि उनका जीवन ही उनका लेखन था। उन्होंने आमजन पर अनुपम संस्मरण लिखे। प्रो. नरसिंह बिनानी ने कहा कि व्यासजी ने अपनी रचनाओं से राजस्थानी भाषा-साहित्य को समृद्ध किया है। कासिम बीकानेरी ने मुरलीधर व्यास को आधुनिक राजस्थानी का सर्वप्रथम कहानीकार बताया। विप्लव व्यास ने कहा कि युवाओं को व्यासजी के लेखन से प्रेरणा लेनी चाहिये। शशांक शेखर जोशी ने कहा कि हमें व्यासजी से प्रेरणा लेकर बच्चों को राजस्थानी बोलने-लिखने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिये। जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि उनकी रचनाओं में राजस्थानी संस्कृति दृष्टिगत होती है। अकादमी के सूचना सहायक केशव जोशी ने राजस्थानी बाल साहित्य को बढ़ावा देने पर बल देने के साथ-साथ बच्चों में राजस्थानी के प्रति लगाव पैदा करने के लिये राजस्थानी साहित्य को आधुनिक तकनीक जैसे वीडियो, ऐनीमेशन आदि से जोड़ने की आवश्यकता जताई। राजूनाथ ‘राजस्थानी‘ ने व्यासजी से प्रेरणा लेकर राजस्थानी भाषा मान्यता हेतु की गई यात्रा की जानकारी दी। योगेश व्यास ‘राजस्थानी’ ने आभार व्यक्त किया तथा अपने पड़दादा मुरलीधर व्यास के संबंध में अनेक नवीन जानकारियां दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षाविद् डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि व्यासजी के समग्र साहित्य पर शोध कार्य होना चाहिये। वे नये लेखकों को सदैव प्रेरित एवं प्रोत्साहित करते थे।
इस अवसर पर डॉ. मोहम्मद फारूख चौहान, कानसिंह, मनोज मोदी, राम अवतार तिवाड़ी, तुषार आचार्य, विवेक व्यास, शुभम व्यास, कुलदीप व्यास, रवीन्द्र व्यास, मोहन गोपाल पुरोहित ने भी मुरलीधर व्यास को श्रद्धासुमन अर्पित किये।