आपणी हथाई न्यूज,शिव शक्ति साधना पीठ संस्थान और होटल मिलेनियम के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चार दिवसीय राजस्थानी संगम 2025 के दूसरे दिन आज होटल मिलेनियम में राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर राज्य स्तरीय परिचर्चा का आयोजन देर शाम तक हुआ उसके बाद में दुलारी बाई का हास्य प्रदान नाटक देर रात तक चला जिसके माध्यम से सैकड़ों दर्शक रोमांचित हुए। राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की अध्यक्षता एवं राजस्थानी के कथाकार आलोचक डॉ.मदन सैनी के मुख्य आतिथ्य एवं कवि अनुवादक डॉ.घनश्याम नाथ कच्छावा के विशिष्ट आतिथ्य में किया गया।
आयोजक के. के. रंगा ने बताया कि इस महत्वपूर्ण आयोजन की अध्यक्षता करते हुए कमल रंगा ने कहा कि मातृभाषा राजस्थानी करोड़ों लोगों की जन भावना एवं अस्मिता है इसके लिए हमें सामूहिक प्रयास करते हुए राजनीतिक इच्छा शक्ति पर दबाव डालते हुए शीघ्र प्रदेश की दूसरी राजभाषा और संवैधानिक मान्यता की बात को पुरजोर शब्दों से उठाना चाहिए। ऐसे आयोजन एक सार्थक प्रयास है। इसी क्रम में समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. मदन सैनी ने कहा कि राजस्थानी भाषा का समृद्ध इतिहास है और हर दृष्टि से राजस्थानी संपन्न है इसे शीघ्र नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए वही परिचर्चा के विशिष्ट अतिथि डॉक्टर घनश्याम नाथ कच्छावा ने कहा कि राजस्थानी भाषा जन-जन की भाषा है हमें सामूहिक प्रयास करते हुए इसे सफल बनाना है और हर स्तर पर इसके लिए सशक्त पैरोकारी करनी होगी और इस मसले पर हमें सकारात्मक सोच रखते हुए बात को आगे बढ़ाना है। परिचर्चा के संयोजक कासिम बीकानेरी ने बताया कि प्रारंभ में विषय प्रवर्तन डॉ.नमामि शंकर आचार्य ने करते हुए विषय को खोल कर रख दिया।
करीब दो दर्जन से अधिक राजस्थानी के हेतालु साहित्यकार विचारक कवि कथाकार चित्रकार एवं महिला साहित्यकारों ने के साथ-साथ शोधार्थियों और छात्रों ने मिलकर इस महत्वपूर्ण परिचर्चा में अपनी सहभागिता निभाते हुए विषय पर बोलते हुए अपनी अपनी जिम्मेदारी को निभाने को संकल्पित हुए खास तौर से प्रशांत जैन, विप्लव व्यास, सुधा आचार्य, जुगल किशोर पुरोहित, अब्दुल शकूर सिसोदिया, राजाराम स्वर्णकार,डॉ.कृष्णा आचार्य, इसरार हसन कादरी, श्रीमती इंद्रा व्यास,सुरेश नारायण पुरोहित,पूर्णिमा मित्रा, गंगा विशन बिश्नोई जितेंद्र, डॉ. मोहम्मद फारूक़ चौहान,गिरिराज पारीक, अशोक व्यास, के. के. रंगा सहित अनेक सहभागियों ने अपनी बात रखते हुए राज्य सरकार और केंद्रीय सरकार से भी यह अपेक्षा की वह अपना दायित्व निर्वहन करते हुए राजस्थानी जैसी विश्व की विख्यात और भारतीय भाषाओं में अपनी अलग पहचान रखने वाली राजस्थानी भाषा को शीघ्र राजभाषा एवं संवैधानिक मान्यता का दर्जा दिया जाए ।
इस अवसर पर आज युवा साहित्यकार पूर्णिमा मित्रा की एक राजस्थानी अनुवाद की पुस्तक श्श्रीकिसन रा छेकड़ला दिनश् जो कि केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है उसका भी लोकार्पण इस अवसर पर किया गया। संस्था की ओर से अतिथियों का प्रतीक चिन्ह आदि प्रदत्त कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में हरीकृष्ण व्यास जितेंद्र, आयुष्मान व्यास, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत घनश्याम ओझा, रितु आचार्य सहित अनेक प्रबुद्ध जन मौजूद थे। कार्यक्रम का सफल संचालन क़ासिम बीकानेरी ने किया।