आपणी हथाई न्यूज,राजस्थान में कांग्रेस लगातार सरकार रिपीट करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। मिशन 2023 को लेकर राजस्थान कांग्रेस के संगठन में बदलाव को लेकर आज सोशल मीडिया पर खबरें तैर रही है। सूत्रों के हवाले से चल रही खबरों के चलते यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक और राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉक्टर बीडी कल्ला को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस का कैप्टन बनाया जा सकता है,फिलहाल पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष है और अब उनकी जगह डॉक्टर बीडी कल्ला को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
डॉक्टर बीडी कल्ला प्रदेश कांग्रेस में एक कुशल राजनेता के साथ-साथ बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं और बड़ा ब्राह्मण चेहरा होने के नाते उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अगर डॉक्टर बीडी कल्ला प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो डॉक्टर बीडी कल्ला मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इससे पहले शिक्षा मंत्री रहे गोविंद सिंह डोटासरा भी जब प्रदेश अध्यक्ष बने तो उन्होंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था तो ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला पीसीसी चीफ बनते हैं तो वह भी अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
राजनीतिक पंडित कांग्रेस ने इस बड़े फेरबदल को खबरों को हाथों हाथ ले रहे हैं सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि जल्द ही डॉक्टर बीडी कल्ला पीसीसी चीफ बन सकता है। बीकानेर में आज जिला कांग्रेस द्वारा जिला कलेक्ट्रेट में केंद्र सरकार की तानाशाही नीतियों के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया जिसमें मंत्री भंवर सिंह भाटी और मंत्री गोविंद राम मेघवाल मौजूद रहे लेकिन इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री डॉक्टर बी डी कल्ला की अनुपस्थिति को भी इस बड़े फेरबदल के लिहाज से देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि मंत्री बीडी कल्ला इसी वजह से बीकानेर में आज मौजूद नहीं रहे जबकि कोलायत और खाजूवाला से विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री भाटी और मेघवाल दोनों ही इस आयोजन में मौजूद रहे।
कुछ राजनीतिक पंडित यह भी मानते हैं कि पूर्व में भी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा थे और उन्हें पीसीसी चीफ बनाया गया और वर्तमान में डॉक्टर बी डी कल्ला शिक्षा मंत्री है और उन्हें भी पीसीसी चीफ बनाया जा सकता है। हालांकि इस वक्त प्रदेश अध्यक्ष फेरबदल को लेकर सारी खबरें सूत्रों के हवाले से बताई जा रही है ऐसा हो यह जरूरी नहीं लेकिन राजनीति में असंभव कुछ भी नहीं माना जाता।