आपणी हथाई न्यूज़, सीएसआईआर अरोमा मिशन के राजस्थान के नोडल अधिकारी वैज्ञानिक सीयाराम मीणा के निर्देषन में राजस्थान में मिषन के द्वितीय फेज में जैसलमेर में कृषकों को औषधिय एवं सुगंधित पौधों की खेती, प्रंसस्करण एवं मूल्य संवर्धन प्रषिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम के तहत सुगन्धित तेल तैयार करने हेतु रोजा ग्रास (घास) के बारे में प्रषिक्षित किया गया।
सीएसआईआर अरोमा मिशनरू खेतीए मूल्य संवर्धन और सुगंधित पौधों के विपणन के माध्यम से ग्रामीण सशक्तिकरण को उत्प्रेरित करना है। मीणा बताया कि यह राजस्थान के पाली, जैसलमेर व सीकर में किसानों को नये रोजगार की पहल के तहत प्रषिक्षण दिया जा रहा है ताकि ग्रामीण को रोजगार के अवसर प्राप्त हो।
आपणी हथाई के सुरेष हर्ष को मीणा ने बताया कि रोजा ग्रास से सुगन्धित तेल तैयार किया जाता है उक्त सुगन्धित तेल का उपयोग साबुन, सौन्दर्य सामग्री एवं अगरबती आदि के निर्माण में लिया जाता है। मरूस्थल की बंजर एवं पड़त जमीन पर जिस प्रकार हेरा घार उगती है, उसी प्रकार की रोजा एक घास है, इसे बहते हुए पानी के क्षेत्र में लगा दिया जाये तो वर्ष में चार-पांच बार इसकी कटिंग की जा सकती है। यह घास बहुत अच्छी संगुन्ध देती है। जैसा कि श्री मीणा ने बताया कि इस तेल का उपयोग लक्स, सौन्दर्य प्रसाधन एवं टेलकम पाउडर आदि के निर्माण में लिया जाता है। यह तेल लगभग 1500 रूपये में बिकता है, इसकी मषीन प्लान्ट लगाने में करीब आठ लाख की लागत लगती है। वर्तमान में इसकी गुजरात के कच्छ-भुज में अच्छी खेती हो रही है।
घास की कटिंग को कब उठाना है?
घास कटिंग के बाद 2 से 3 दिन के लिए या हाथोंहाथ मषीन पर ले जाना चाहिए तथा इसे इक्कठा न रखें अन्यथा हरी तरंग उड़ जाती है। इसका उत्पादन प्रति हेक्टर लगभग 70 टन होता है। सुगंध इण्ड्रस्ट्रीज में कुछ लोगों को नहीं बल्कि सामुहिक होकर कार्य करना चाहिए। घास पर सर्दी, पाला का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, 200 किलों घास से 1 किलोग्राम तेल निकलता है। इस घास की खुषबू लगभग 4-5 किलोमीटर दूर तक जाती है और तेल निकालने के बाद अपषिष्ट घास से अगरबती बनाई जा सकती है।
इस क्षेत्र में भारत विश्व में तीसरा देष है,जबकि पहला फ्रांस एवं दूसरा चीन है। यह एक बहुत अच्छा कृषि आय बढ़ाने का संसाधन है। इस घास की विषेषता है कि इसे कोई जानवर नहीं खाता है। मीणा ने बताया कि घास उगाने के बाद इसका उपयोग बागवानी की मेड़ के रूप किया जा सकता है। यह घास सीधी विक्रय की जा सकती है। अगर स्थानीय युवाओं, कृषक या व्यवसायी प्लान्ट लगाकर रोजा घास से सुगन्धित तेल निकालकर बेच सकता है। यह एक रोजगार का अच्छा संसाधन है।