आपणी हथाई न्यूज,जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें खेल को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करने का वादा कर रही है वहीं दूसरी ओर बीकानेर में खिलाड़ी उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। बीकानेर में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर शहर का नाम रोशन किया है लेकिन इन खिलाड़ियों को कोई भी सरकारी मदद नहीं मिल रही। ऐसे ही एक राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल के खिलाड़ी है जो 9 बार यूनिवर्सिटी खेल चुके हैं और यूनिवर्सिटी की टीमों की अगुवाई भी करतें है लेकिन हर्ष का कहना है कि राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार खिलाडियों लिए (फुटबाल) कोई वैकेंसी नही निकाली जा रही। जब राज्य एव केंद्र सरकार दोनो की सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों का कोटा होता है बावजूद इसके वैकेंसी नहीं निकलती और अगर निकलती भी है तो वह पर्याप्त नहीं होती जिसके चलते खिलाड़ी हताश हो रहे हैं।
फुटबॉलर श्याम हर्ष बताते हैं कि बीकानेर लगभग 300 से ऊपर ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने नेशनल और राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में ना केवल हिस्सा लिया है बल्कि अपनी प्रतिभा के दम पर कई बड़े टूर्नामेंट भी जीते हैं ऐसे खिलाड़ी आज रोजगार के लिए तरस रहे हैं। हर्ष का कहना है रोजगार के अभाव में खिलाड़ियों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है खिलाड़ियों की यह स्थिति देख युवा खिलाड़ी भी खेलों की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे क्योंकि युवाओं के सामने कैरियर भी एक बड़ा चैलेंज है। हर्ष का मानना है कि अगर ऐसे ही खिलाड़ियों की उपेक्षा होती रही तो शहर में खेल मैदान सुने ही रह जाएंगे
शहर में फुटबॉल सहित कमोबेश सभी खेलों के खिलाड़ी ना केवल रोजगार के लिए तरस रहे हैं बल्कि इसके चलते युवाओं का भी खेलों के प्रति रुझान घट रहा है।