आपणी हथाई न्यूज, ऐसा शायद ही कोई भारतीय होगा जिसने टाटा का नाम नही सुना होगा। भारत के उद्योग इतिहास में टाटा का स्वर्ण अक्षरों से अमिट है। भारत के लिए टाटा ग्रुप द्वारा दिया गया योगदान अकथनीय है। उसी टाटा ग्रुप एंड टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने 86 वर्ष की उम्र में आज दुनिया को अलविदा कह दिया।
टाटा सिर्फ नाम ही नही बल्कि भारतीय उद्योग और उद्योगपतियों का नाज है जिस पर हर भारतीय को फक्र महसूस होता है। रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने बुलंदियों को छुआ। रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चेयरमैन बने थे और उसके बाद से ही उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 2012 तक इस पद पर रहे. उन्होंने 1996 में टाटा सर्विसेज और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कंपनियों की स्थापना की थी।
विनम्र व्यवहार के लिए विख्यात रतन टाटा फिलहाल टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट के साथ ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट भी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने अपनी एक पोस्ट में रतन टाटा को दूरदर्शी बिजनेस लीडर, एक दयालु व्यक्ति और असाधारण इंसान बताया।
आपकों बता दे कि पिछले कुछ समय से रतन टाटा को भारत रत्न देने की भी मांग उठ रही थी।