आपणी हथाई न्यूज,विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में अमर कला महोत्सव के चौथे दिन दोपहर के सत्र की प्रथम प्रस्तुति विजय लक्ष्य संस्थान, उदयपुर के लोक नृत्य श्रृंखला से हुई। जिसमें जय जय राजस्थान, घूमर, गणगौर, भवाई और चरी नृत्यों की मनोहारी प्रस्तुतियों ने सभागार में उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया। बता दें, इस दल में नायिका विजयलक्ष्मी आमेटा सहित विभांगी आमेटा, आकांक्षा प्रजापत, किरण लोहार, लविना प्रजापत, पायल वैष्णव ने भागीदारी निभाई। उल्लेखनीय है हाल ही में विजयलक्ष्मी आमेटा को जोधपुर में संगीत नाटक अकादमी द्वारा समग्र कला साधना पुरस्कार से नवाजा गया है।
इसके बाद अंतर राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बीएसएफ जैज बैंड, बीकानेर के जवानों ने राष्ट्रभक्ति की दमदार सुरलहरियों से समा बांध दिया। बैंड में पूरे हिंदुस्तान के अलग अलग हिस्सों से आए अनवर हुसैन, पीके सरकार,शंभू दास, संजय थापा, रघुवीर सिंह, सुजीत कुमार यादव ने पहले ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी…., जहां डाल डाल पर सोने की चिड़ियां करती है बसेरा…संदेसे आते हैं… तेरी मिट्टी में मिल जावां और चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना… जैसे नगमे सुनाकर खासी दाद पाई। इस दौरान प्रदेश के कला और संस्कृति मंत्री बी डी कल्ला भी मौजूद रहे।
इसके बाद रंग चर्चा का आयोजन किया गया। विश्व रंगमंच दिवस होनेे के कारण आज की चर्चा का विषय था- रंगमंच की दुनिया और दुनिया का रंगमंच। इस चर्चा मंे अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी लक्ष्मीनारायण सोनी ने की, पत्र वाचन जबलपुर से आये आशीष पाठक ने किया और समाहार वरिष्ठ रँगनेत्री आभा शंकरन ने किया। इस चर्चा में आज के दौर में पूरे विश्व में कहां कहां किस किस प्रकार का रंगमंच हो रहा है और इम नई गतिविधियो से कैसे जुड़ सकते हैं, पर चर्चा की गई। रंगकर्म के प्रति उनकी सजगता को हम कैसे आत्मसात करते हैं, इस पर गहन चर्चा की गई।
इसके अलावा विश्व रंगमंच में नाटकों में क्या क्या प्रयोग हो रहे हैं और उन्हें देखते हुए भारतीय रंगमंच और जमीन से जुड़कर हिंदी बेल्ट में या दूसरी भाषाओं में किस तरह के प्रयोग हो रहे हैं और होने चाहिए । किस तरीके से हम नई कहानियां और नए नाटक जो कि जमीन से जुड़े हुए हैं उन्हें प्रभावी तरीके से मंचित किया जा सके इस पर गहन अध्ययन और ज्ञान चर्चा की गई। कई सारे उदाहरणों के द्वारा हमने यह समझने की कोशिश की कि रंगमंच में क्या नए प्रयोग विश्व में हो रहे हैं और भारतीय रंगमंच में भी किस तरीके से प्रयोग हो रहे हैं इसमें सभी कलाकारों की भागीदारी किस तरीके से हो इस पर गहन चर्चा करने की।
मंच संचालन जयश्री पारीक ने किया। धन्यवाद संजीव पुरोहित ने ज्ञापित दिया। चर्चा में हरीश बी शर्मा, नगेन्द्र किराडू, नृत्यांगना राजलक्ष्मी जी, काननाथ गोदारा, सुरेश पूनिया उपस्थित रहे।सुनीलम ने बताया कि अंत में समारोह से जुड़े सभी वॉलिंटियर्स , स्पॉन्सर, वरिष्ठ रंग कर्मियों कलाकारों का सम्मान किया गया।