विश्व विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैम्पस बनकर लगभग तैयार हो गया है। नालंदा विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर सुनैना सिंह के अनुसार नए कैम्पस के उदघाटन के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। नए नालंदा विश्वविद्यालय को 8 साल पहले शुरू किया था। निर्माण कार्य पिछले दो सालों से युद्धस्तर पर जारी है। नालंदा विश्वविद्यालय का पूरा कैम्पस ही नेट जीरो तकनीक को अमल में लाकर बनाया गया है। विश्वविद्यालय का पूरा कैम्पस 455 एकड़ में फैला हुआ है। नेट जीरो से अर्थ है कि इस कैम्पस में पानी,ऊर्जा और संसाधनों की बिल्कुल भी बर्बादी नही होगी। नालंदा विश्वविद्यालय के ग्रीन कैम्पस को फाइव स्टार रेटिंग ग्रीन रेटिंग इंटीग्रेटेड काउंसिल ने पहले ही प्रदान कर दी है। नेट ज़ीरो से मतलब है कि हम जितना कार्बन पैदा कर रहे है उतना ही मात्रा में कार्बन को एब्जॉर्ब करने की व्यवस्था उसी जगह के आसपास हो। नेट जीरो को सरल शब्दों में समझे तो यूं समझिए कि जैसे पेड़ पौधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड एब्जॉर्ब करते है, अगर इतनी ही मात्रा में अमुख जगह पर कार्बन का उत्सर्जन होता है तो वहाँ उसी अनुपात में पेड़ लगाकर कार्बन को एब्जॉर्ब की व्यवस्था की जाती है,इसे ही नेट जीरो तकनीक कहा जाता है। नेट जीरो के अलावा बिहार के राजगीर के पास नव निर्मित नालंदा विश्वविद्यालय में करीब 250 कोर्सेज उपलब्ध है। सर्टिफिकेट और डिप्लोमा मिलाकर ये संख्या 1000 तक है। नालंदा विश्वविद्यालय ने सनातन शिक्षा का कोर्स शुरू किया गया है। सितंबर 2014 से नए नालंदा विश्वविद्यालय में एडमिशन शुरू हुए थे।विश्वविद्यालय में भारत के अलावा अमेरिका, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश के बच्चे फिलहाल पढ़ रहे है। विश्वविद्यालय में इस समय 48 फेकल्टी मेम्बर्स है, जल्द विश्वविद्यालय के लिए नई रिक्रूटमेंट पॉलिसी और दूजी योजनाएं नए कैम्पस के उदघाटन के बाद सामने आएगी। सनद रहे नालंदा विश्वविद्यालय 5 वी शताब्दी में ही पूरे विश्व मे अपनी पढ़ाई के लिए विश्वविख्यात था,फिर इस विश्वविद्यालय को विभिन्न बाह्य आक्रमणकारियों ने जलाकर नष्ट कर दिया था।
मनोज रतन व्यास